
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने आगामी पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच बड़ा फैसला लेते हुए पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर दिया है। इस आयोग का मुख्य उद्देश्य राज्य के पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायसंगत बनाना है।
शुक्रवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में आयोग के गठन को मंजूरी दी गई। आयोग जल्द ही पंचायतों में पिछड़ा वर्ग की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन करेगा और ‘ट्रिपल टेस्ट फार्मूला’ के तहत रिपोर्ट तैयार करेगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर यह तय किया जाएगा कि किन सीटों को ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित किया जाएगा।
गौरतलब है कि पिछली बार नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को लेकर काफी विवाद हुआ था। तब उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य सरकार को आरक्षण से संबंधित प्रक्रिया को रोकना पड़ा था। इस बार सरकार ने पहले से तैयारी करते हुए आयोग का गठन कर यह स्पष्ट कर दिया है कि पंचायत चुनाव में आरक्षण पूरी वैधानिक प्रक्रिया के तहत लागू किया जाएगा।
सरकार का कहना है कि आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी और आरक्षित सीटों की सूची सार्वजनिक की जाएगी। इससे सभी वर्गों को यह स्पष्ट जानकारी मिल सकेगी कि किस वर्ग के लिए कौन-सी सीट आरक्षित है।
इस फैसले से पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों में भी स्पष्टता आई है। अब सभी को आयोग की रिपोर्ट का इंतजार है, जिसके आधार पर राजनीतिक दल भी अपने प्रत्याशी तय करेंगे।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में ओबीसी आरक्षण हमेशा से एक संवेदनशील विषय रहा है। ऐसे में आयोग का गठन सरकार के लिए एक निर्णायक कदम माना जा रहा है। राज्य सरकार का यह प्रयास न केवल आरक्षण व्यवस्था को न्यायपूर्ण बनाएगा, बल्कि पंचायत स्तर पर पिछड़े वर्गों की भागीदारी भी सुनिश्चित करेगा।
रिपोर्ट: आवाज़ न्यूज़ ब्यूरो, लखनऊ
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