मनहूस मजहबी ढांचे में अब भरम न पाले जाएंगेमुस्कानों के सोदे ना होंगे सपने...
मोहन लाल यादव★एक गीत★मनहूस मजहबी ढांचे में अब भरम न पाले जाएंगेमुस्कानों के सोदे ना होंगे सपने ना उछाले जाएंगे
रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलजुग आएगाझूठ कहे तो जग पतियाए सच्चा मारा...
. ★रामचंद्र कह गए★
रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलजुग आएगाझूठ कहे तो जग पतियाए सच्चा मारा जाएगा
हो-हो कर करबद्ध जिन्हें मैं करता रहा प्रणाम!कितने कालातीत हो गये मन के अल्प...
****गीत ****
हो-हो कर करबद्ध जिन्हें मैं करता रहा प्रणाम!कितने कालातीत हो गये मन के अल्प -विराम!!
रोम-रोम उसने नख-शिख शृंगार किया।क्या जाने वह? यौवन, अभी अधूरा है।
****सुगीतिका ****÷÷÷÷÷÷आरम्भिका--मन-दर्पण में दर्शन, अभी अधूरा है।चिन्ता तो है चिन्तन, अभी अधूरा है।
बोध--1जिस...
जब पंछी पिजरा छोड़ि उड़ा, घिव से नहवाए होई,जब जेठ मे बिरवा सूखि गयो,...
. ★एक अवधी लोकगीत★
मोहनलाल यादव
जब पंछी पिजरा छोड़ि उड़ा, घिव से नहवाए होईजब जेठ...
कोयल व सिंहनाद व बंशी के भरम में। उड़ता हुआ हिरन वो बियाबान में...
ग़ज़ल
2212,12112, 2112, 2उसका ही दोष उसके गिरहबान में पहुँचा।थूका गया वो यूँ कि उगलदान...
तोड़े दे भगवान जब विश्वास को मेरे। आरती ओढ़ूँ-बिछाऊँ, यह असम्भव है।
मानक हिन्दी ग़ज़ल==सुगीतिका==÷÷÷÷÷÷÷÷÷आरम्भिका-इस समय मैं मुस्कुराऊँ,यह असम्भव है।किन्तु दुख से टूट जाउँ,यह असम्भव है।बोध-1तोड़े दे भगवान जब विश्वास को मेरे।आरती ओढ़ूँ-बिछाऊँ, यह...
सभ्यता के घाव, सूरज को न दिखलाया करूँ।
-----गीत------"""""""""सभ्यता के घाव, सूरज को न दिखलाया करूँ।भंग है पूजन-भजन, अपशब्द ही गाया करूँ।0000सब सितारे मित्र हैं,नंगी थिरकती रात के।चांदनी से भी...