✍️ आवाज़ न्यूज़ | सुजीत वर्मा, ब्यूरो चीफ
जौनपुर। होली के त्योहार पर बाजारों में मिलावटी खोवा और मिठाइयों की भरमार है, लेकिन खाद्य विभाग की लापरवाही से आम जनता की सेहत खतरे में है। अधिकारी सख्त कार्रवाई करने के बजाय सिर्फ औपचारिकताएं निभा रहे हैं।
मिलावटी खोवा कैसे बनता है?
👉 दूध में अरारोट, आलू, ग्लूकोज और रिफाइंड तेल मिलाकर नकली खोवा तैयार किया जाता है।
👉 इसे लंबे समय तक खराब होने से बचाने के लिए हानिकारक केमिकल और हाइड्रोजन परॉक्साइड मिलाया जाता है।
👉 ऐसा मिलावटी खोवा स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है।
बाजार में खुलेआम बिक रहा मिलावटी खोवा
✔️ त्योहार के समय खोवे की मांग बढ़ जाती है, जिसका फायदा उठाकर मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं।
✔️ हर दिन हजारों किलो खोवा बिक रहा है, लेकिन शुद्धता की कोई निगरानी नहीं हो रही।
✔️ आम उपभोक्ता असली और नकली खोवे में फर्क नहीं कर पाते और मजबूरी में मिलावटी खोवा खरीद रहे हैं।
खाद्य विभाग की छापेमारी सिर्फ दिखावा?
❌ त्योहारों के दौरान खाद्य सुरक्षा विभाग की सक्रियता सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई है।
❌ हर साल मिलावट को रोकने के दावे किए जाते हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
❌ प्रशासन की उदासीनता से मिलावटखोर बेखौफ हो गए हैं।
जनता की मांग – प्रशासन करे सख्त कार्रवाई!
✔️ प्रशासन तत्काल छापेमारी कर मिलावटखोरों पर कड़ी कार्रवाई करे।
✔️ खाद्य पदार्थों की शुद्धता सुनिश्चित की जाए, ताकि लोग त्योहार को सुरक्षित तरीके से मना सकें।