नई दिल्ली में मंगलवार को आयोजित संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदानकर्ता देशों (UNTCC) के प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कुछ देशों द्वारा अंतरराष्ट्रीय नियमों के खुलेआम उल्लंघन पर निशाना साधा। बिना नाम लिए उन्होंने चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों को इशारों में चेतावनी दी, जो सीमा विवादों और आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं।
सिंह ने कहा कि भारत पुरानी वैश्विक संरचनाओं में सुधार की वकालत करते हुए नियम-आधारित व्यवस्था को मजबूती से कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध है। यह पहली बार है जब भारत UNTCC चीफ्स कॉनक्लेव की मेजबानी कर रहा है, जिसमें 32 देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं।
रक्षा मंत्री ने अपने भाषण में शांति स्थापना को भारत की ‘आस्था’ का विषय बताते हुए कहा, “शांति स्थापना हमारे लिए कभी विकल्प नहीं रही, बल्कि एक आस्था का विषय रही है। आजादी के बाद से भारत संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा मिशनों में मजबूती से खड़ा रहा है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि शांति स्थापना महज सैन्य अभियान नहीं, बल्कि साझा जिम्मेदारी है, जो संघर्षों से ऊपर मानवता को स्थापित करती है। सिंह ने कहा, “जब युद्ध और अभाव से पीड़ित लोग ब्लू हेल्मेट्स को देखते हैं, तो उन्हें लगता है कि दुनिया ने उन्हें भुलाया नहीं है।”
अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन पर सिंह ने सख्त लहजे में कहा, “आज कुछ देश खुलेआम अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, कुछ उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि कुछ अपने नियम थोपकर अगली सदी पर दबदबा कायम करना चाहते हैं।” विशेषज्ञों का मानना है कि यह टिप्पणी चीन की दक्षिण चीन सागर में विस्तारवादी नीतियों और पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को निशाना बना रही है। सिंह ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर का जिक्र करते हुए कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध की तबाही के बाद बने इस दस्तावेज को मजबूत रखना जरूरी है।
भारत के योगदान पर प्रकाश डालते हुए रक्षा मंत्री ने बताया कि पिछले दशकों में लगभग 2,90,000 भारतीय सैनिकों ने 50 से अधिक संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में सेवा दी है। कांगो और कोरिया से लेकर दक्षिण सूडान व लेबनान तक भारतीय सैनिक, पुलिस और चिकित्सक कमजोर लोगों की रक्षा और समाज पुनर्निर्माण में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारा योगदान बलिदान के बिना अधूरा है। 180 से अधिक भारतीय शांति सैनिकों ने संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले प्राण न्यौछावर किए, जो मानवता की सामूहिक अंतरात्मा में अंकित हैं।”
यह सम्मेलन 14 से 16 अक्टूबर तक चलेगा, जहां शांति मिशनों में चुनौतियां, उभरते खतरे, अंतरसंचालनीयता, निर्णय लेने में समावेशिता, तकनीक और प्रशिक्षण जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। इससे पहले थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सम्मेलन को संबोधित किया था, जहां उन्होंने भारत को शांति स्थापना में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में एक बताते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति के लिए महत्वपूर्ण मंच है।
सम्मेलन के जरिए भारत ने न केवल अपनी शांति प्रतिबद्धता दोहराई, बल्कि वैश्विक व्यवस्था में सुधार की मांग भी की, जो उसके ‘विकसित भारत’ विजन का हिस्सा है।
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