सुप्रीम कोर्ट ने अशोका विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर और राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख अली खान महमूदाबाद को कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर विवादित टिप्पणी के मामले में अंतरिम जमानत दे दी है। कोर्ट ने महमूदाबाद को सोनीपत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की संतुष्टि के लिए जमानत बांड जमा करने का निर्देश दिया है। साथ ही, उन्हें आदेश दिया गया है कि वे इस मामले से संबंधित कोई ऑनलाइन लेख नहीं लिखेंगे या कोई ऑनलाइन भाषण नहीं देंगे।
महमूदाबाद ने ऑपरेशन सिंदूर की मीडिया ब्रीफिंग में कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर सिंह की भूमिका को “दिखावा” करार दिया था और कहा था कि “दिखावे को जमीनी हकीकत में बदलना होगा, वरना यह महज पाखंड है।” उन्होंने यह भी कहा था कि कर्नल कुरैशी की सराहना करने वाले दक्षिणपंथी टिप्पणीकारों को भीड़ द्वारा हत्या और मनमाने ढंग से संपत्ति ध्वस्त करने के पीड़ितों के लिए भी सुरक्षा की मांग करनी चाहिए।
हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया ने महमूदाबाद की टिप्पणियों को वर्दीधारी महिलाओं, विशेष रूप से कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर सिंह, का अपमान और उनकी पेशेवर भूमिका को कमतर करने वाला बताया। आयोग ने इसे सांप्रदायिक तनाव भड़काने और राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने वाला माना। इसके आधार पर उनके खिलाफ बीएनएस की धारा 152 (भारत की संप्रभुता को खतरे में डालने), 353 (सार्वजनिक शरारत), 79 (महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने), और 196(1) (धर्म के आधार पर दुश्मनी बढ़ाने) के तहत गैर-जमानती धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी।
पुलिस ने महमूदाबाद को 18 मई को दिल्ली के ग्रेटर कैलाश से गिरफ्तार किया और सोनीपत ले जाया गया। 20 मई को सोनीपत की जिला अदालत ने उन्हें 27 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। पुलिस ने सात दिन की रिमांड की मांग की थी, ताकि उनके लैपटॉप और मोबाइल डेटा की जांच की जा सके, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और 60 दिनों में चालान पेश करने का आदेश दिया।
महमूदाबाद ने दावा किया कि उनकी टिप्पणियों को गलत समझा गया। उन्होंने कहा कि वे भारतीय सशस्त्र बलों के संयमित दृष्टिकोण की सराहना करते हैं और उनकी पोस्ट में महिलाओं के खिलाफ कोई अपमानजनक बात नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी टिप्पणियां भारत की विविधता में एकता के सपने को दर्शाती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) गठन का आदेश दिया है। इस बीच, महमूदाबाद की गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए शिक्षक संगठनों और विपक्षी दलों ने इसकी निंदा की है।
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