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सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को लगाई फटकार, पूछा- ‘2000 वर्ग किमी जमीन पर चीन के कब्जे का दावा कैसे?’, लेकिन दी राहत

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सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को उनके 2022 के भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना और चीन द्वारा 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि पर कब्जे के दावे को लेकर कड़ी फटकार लगाई।

कोर्ट ने पूछा, “आपको कैसे पता कि चीन ने 2000 वर्ग किमी जमीन पर कब्जा किया? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय सामग्री है? अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो ऐसी बातें नहीं कहेंगे।” हालांकि, कोर्ट ने लखनऊ की निचली अदालत में उनके खिलाफ चल रही आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी।

राहुल गांधी ने दिसंबर 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राजस्थान में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किमी जमीन पर कब्जा कर लिया है और अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सैनिकों को “पीटा” जा रहा है। जनवरी 2023 में जम्मू-कश्मीर में उन्होंने दोहराया कि पूर्व सैन्य अधिकारियों ने इस कब्जे की पुष्टि की थी। इन बयानों के खिलाफ पूर्व सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने लखनऊ में मानहानि का मुकदमा दायर किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल के बयान भारतीय सेना का मनोबल गिराने वाले और अपमानजनक थे। लखनऊ की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने फरवरी 2025 में राहुल को समन जारी किया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 29 मई 2025 को राहुल की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने समन और शिकायत को दुर्भावनापूर्ण बताया था। हाईकोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सेना को अपमानित करने की अनुमति नहीं देती।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राहुल गांधी की विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर सुनवाई की। कोर्ट ने सवाल उठाया कि राहुल ने ऐसे संवेदनशील मुद्दे को संसद के बजाय सोशल मीडिया और प्रेस में क्यों उठाया। जस्टिस दत्ता ने कहा, “आपको जो कहना है, वह संसद में कहें। आप 19(1)(a) [अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता] का हवाला देकर कुछ भी नहीं कह सकते।” राहुल के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि अगर विपक्ष का नेता प्रेस में छपे मुद्दों को नहीं उठा सकता, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि राहुल ने केवल सूचना दमन पर चिंता जताई थी। सिंघवी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 223 का हवाला देते हुए कहा कि शिकायत का संज्ञान लेने से पहले राहुल को सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया, जो अनिवार्य है। कोर्ट ने इस बिंदु पर विचार करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह के लिए कार्यवाही पर रोक लगा दी।

राजनीतिक प्रतिक्रिया
बीजेपी ने राहुल के बयानों को “राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ गैर-जिम्मेदाराना” करार दिया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, जो अरुणाचल प्रदेश से हैं, ने कहा कि “चीन ने अरुणाचल में एक इंच जमीन भी नहीं ली।” बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कोर्ट की टिप्पणी का समर्थन करते हुए राहुल को “चीन गुरु” कहकर तंज कसा और उनके हालिया “मृत अर्थव्यवस्था” बयान को भी गैर-जिम्मेदार बताया। लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बीडी मिश्रा ने भी कहा कि भारतीय सेना हर इंच जमीन की रक्षा कर रही है।

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