सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की समस्या से जुड़े मामले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को सशरीर पेश होने का आदेश कायम रखा है। शुक्रवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की उस अपील को खारिज कर दिया गया जिसमें उन्होंने मुख्य सचिवों को तीन नवंबर को वर्चुअल तरीके से पेश होने की अनुमति देने की मांग की थी।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने स्पष्ट कहा कि अगली सुनवाई पर सभी मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिर होना होगा। कोर्ट ने इसे राज्यों द्वारा आदेशों की अवहेलना का मामला बताते हुए नाराजगी जताई।
गौरतलब है कि 27 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया था कि आवारा कुत्तों पर नोटिस जारी होने के बावजूद अधिकांश राज्यों ने हलफनामे दाखिल नहीं किए हैं। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की तीन जजों की विशेष बेंच ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई थी। बेंच ने देखा कि अब तक केवल दिल्ली महानगरपालिका (एमसीडी), पश्चिम बंगाल और तेलंगाना ने ही हलफनामे दाखिल किए हैं। इन तीनों को छूट देते हुए बाकी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को तीन नवंबर को पेश होने का निर्देश दिया गया था।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट का स्वत: संज्ञान लेने वाला है जो 28 जुलाई को दिल्ली में आवारा कुत्तों के हमलों से रेबीज के बढ़ते मामलों, खासकर बच्चों पर, एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर शुरू हुआ था। 22 अगस्त को कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) रूल्स 2023 के तहत आवारा कुत्तों की नसबंदी, कृमिनाशक और टीकाकरण के उपायों पर हलफनामे दाखिल करने का आदेश दिया था। लेकिन अधिकांश ने इसका पालन नहीं किया, जिससे कोर्ट ने कहा कि यह देश की छवि को विदेशों में खराब कर रहा है।
बिहार सरकार ने भी विधानसभा चुनावों का हवाला देकर मुख्य सचिव को छूट की मांग की थी लेकिन कोर्ट ने इसे नामंजूर कर दिया। बेंच ने कहा कि चुनाव आयोग इसकी देखभाल करेगा। गैर-अनुपालन पर कोर्ट ने लागत लगाने और मजबूरन कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।
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