लखनऊ के चर्चित सहारा सिटी पर विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। लखनऊ नगर निगम (LMC) ने 8 और 11 सितंबर 2025 को जारी आदेशों के तहत गोमती नगर में स्थित सहारा इंडिया कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SICCL) की 170 एकड़ लीज भूमि और उस पर बनी 87 आवासीय-वाणिज्यिक संपत्तियों पर कब्जा ले लिया है।
सहारा प्रबंधन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस कार्रवाई को चुनौती दी है, और याचिका आज (8 अक्टूबर 2025) जस्टिस संगीता चंद्रा और जस्टिस अमिताभ कुमार राय की डिवीजन बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। याचिका में LMC के आदेशों को रद्द करने, कब्जा रद्द करने और स्टेटस को क्वो बहाल करने की मांग की गई है।
सहारा की याचिका में दावा किया गया है कि LMC ने कार्रवाई से पहले सुनवाई का उचित अवसर नहीं दिया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। कंपनी ने कहा कि सिविल कोर्ट में पहले से ही स्टे ऑर्डर लागू है, जो लीज एग्रीमेंट के उल्लंघन के आरोपों पर चल रहा मुकदमा है। इसके अलावा, आर्बिट्रेशन प्रक्रिया में LMC को सहारा के पक्ष में लीज एग्रीमेंट बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन निगम ने इसका पालन नहीं किया।
सहारा ने तर्क दिया कि 22 अक्टूबर 1994 और 23 जून 1995 को LMC ने गोमती नगर में 130 एकड़ आवासीय योजना और 40 एकड़ ग्रीन बेल्ट के लिए 30 वर्षीय लीज दी थी। कंपनी ने 2480 करोड़ रुपये की लागत से संपत्तियां विकसित कीं, लेकिन कानूनी विवादों के कारण योजना ठप पड़ी। याचिका में LMC के कब्जे को “अवैध और मनमाना” बताया गया है।
LMC ने कब्जे का बचाव करते हुए कहा कि लीज 2024 में समाप्त हो चुकी है और सहारा ने शर्तों का उल्लंघन किया, जैसे सेक्टर सड़कें न बनाना और योजना विकसित न करना। निगम ने 30 सितंबर 2025 को तीन दिनों का अल्टीमेटम दिया था, जिसके बाद कब्जा लिया गया। सहारा ने सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की है, जहां 14 अक्टूबर को सुनवाई होनी है। इसमें सहारा ने सहारा सिटी सहित 88 संपत्तियों (जैसे आम्बी वैली) को अदानी प्रॉपर्टीज को बेचने की अनुमति मांगी है, ताकि SEBI-सहारा रिफंड अकाउंट में 16,000 करोड़ रुपये जमा हो सकें।
दशकों पुराना विवाद: 1997 से लीज रद्दीकरण की जंग
सहारा सिटी का विवाद 1997 से चला आ रहा है। LMC ने 100 रुपये के स्टांप पेपर पर 30 वर्षीय लीज दी थी, लेकिन तीन साल बाद तत्कालीन नगर आयुक्त दिवाकर त्रिपाठी ने उल्लंघन का हवाला देकर नोटिस जारी किया। मामला सिविल कोर्ट में अटक गया, जो 27 वर्ष चला। 2012 में SEBI ने सहारा के पोंजी स्कीम विवाद में भूमि जब्त की। 2015 में लीज रजिस्टर्ड हुई और संशोधन हुआ, लेकिन सेबी और कानूनी उलझनों से योजना रुकी। सहारा ने 15 आवंटियों की सूची दी, लेकिन वे कभी सामने नहीं आए। लीज समाप्ति पर LMC ने कब्जा लिया।
सहारा सिटी पर अब क्या बनेगा? नई विधानसभा की अटकलें
सहारा सिटी (170 एकड़ LMC + 75 एकड़ LDA) की 245 एकड़ भूमि पर भविष्य के प्लान अटकलों का विषय हैं। सूत्रों के अनुसार, योगी सरकार नई विधानसभा भवन के लिए 200 एकड़ जमीन तलाश रही है। यह जगह लोकेशन (गोमती नगर) और कनेक्टिविटी के लिहाज से उपयुक्त मानी जा रही है। LDA ने कुछ हिस्से पर पार्क विकसित करने की योजना बनाई है, जबकि सहारा बाजार की नीलामी की तैयारी है।
हाईकोर्ट की सुनवाई का फैसला महत्वपूर्ण होगा, जो लीज विस्तार या कब्जा रद्द करने पर निर्भर करेगा। सहारा ने निवासियों और कर्मचारियों को निकासी नोटिस दिए हैं, जिससे विवाद और गहरा सकता है।
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