अमेरिका भारत पर व्यापारिक दबाव बनाने से पीछे नहीं हट रहा है। पहले रूसी तेल की खरीद पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाकर भारत को चेतावनी दी गई, और अब मक्का (मेज) के आयात पर भी सख्ती की योजना है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई (कैथरीन लुटनिक का संभावित संदर्भ) ने धमकी दी कि यदि भारत अपने टैरिफ कम नहीं करता, तो उसे मुश्किल समय का सामना करना पड़ सकता है।
यह बयान ऐसे समय आया है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रति रुख नरम किया है और व्यापार समझौते पर बातचीत की उम्मीद जताई है।
पृष्ठभूमि: रूसी तेल विवाद
अगस्त 2025 में ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने का एक्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया, क्योंकि भारत रूसी तेल की खरीद जारी रखे हुए है। यह टैरिफ यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का हिस्सा है। भारत ने इसे “अनुचित और असंगत” बताया, लेकिन रूसी तेल आयात नहीं रोका। रूस से सस्ता तेल खरीदकर भारत ने अरबों डॉलर बचाए, लेकिन अब ये बचत टैरिफ से मिटने लगी है। ट्रंप ने कहा कि भारत जैसे देश रूस की अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहे हैं, इसलिए दंडात्मक कार्रवाई जरूरी है।
मक्का पर नया दबाव
अब अमेरिका मक्का (मेज) के आयात पर भी टैरिफ बढ़ाने की तैयारी में है। भारत मक्का का बड़ा आयातक है, और अमेरिका मुख्य आपूर्तिकर्ता। लुटनिक (या ताई) ने कहा कि भारत के उच्च टैरिफ (मक्का पर 60% तक) के जवाब में अमेरिका काउंटर-टैरिफ लगाएगा। यदि भारत टैरिफ कम नहीं करता, तो अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लग सकता है। यह कदम भारत की खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करेगा, क्योंकि मक्का पशु चारे और खाद्य उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है।
ट्रंप ने हाल ही में कहा, “मैं मोदी के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने को आशावादी हूं।” लेकिन लुटनिक का बयान ट्रंप की नरमी के विपरीत है, जो व्यापार वार्ता को जटिल बना रहा है। भारत ने यूरोपीय संघ और कतर जैसे देशों से तेल विविधीकरण बढ़ाया है, लेकिन अमेरिकी दबाव से द्विपक्षीय व्यापार (2024 में 129 अरब डॉलर) पर असर पड़ रहा है।
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