भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने बुधवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर “पाखंड” का आरोप लगाया

भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने बुधवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर उनके रुख को लेकर “पाखंड” का आरोप लगाया और स्टालिन के विरोध के जवाब में इसे “राजनीतिक अवसरवाद के अलावा कुछ नहीं” कहा। मालवीय की टिप्पणी स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके द्वारा एनईपी के प्रस्तावित तीन-भाषा फॉर्मूले के लगातार विरोध के बीच आई है, जिसने पूरे राज्य में विवाद खड़ा कर दिया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में मालवीय ने लिखा: “भाषा नीति पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन का घोर पाखंड! राष्ट्रीय शिक्षा नीति में निर्धारित तीन-भाषा फॉर्मूले का उनका विरोध राजनीतिक अवसरवाद के अलावा और कुछ नहीं है।” भाजपा नेता ने डीएमके के 2015 के नमक्कु नामे अभियान का भी जिक्र किया, जिसमें स्टालिन ने मुस्लिम समुदाय से वादा किया था कि अगर पार्टी सत्ता में आई तो तमिलनाडु के स्कूलों में उर्दू को अनिवार्य कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “उन्होंने इसे लागू करने के लिए एक कानून बनाने का भी वादा किया था!” मालवीय ने सवाल किया कि स्टालिन एनईपी में हिंदी, कन्नड़ और तेलुगु जैसी भाषाओं को शामिल करने का विरोध कैसे कर सकते हैं, जबकि साथ ही तमिलनाडु के स्कूलों में उर्दू की वकालत कर रहे हैं।
The post ‘राजनीतिक अवसरवाद के अलावा कुछ नहीं’: भाषा विवाद को लेकर भाजपा ने स्टालिन की आलोचना की.. appeared first on Live Today | Hindi News Channel.