स्वास्थ्य विभाग में 2008 की एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती में भारी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। इस घोटाले में फर्जी नियुक्ति पत्रों और गलत पतों के जरिए 79 स्वीकृत पदों के बजाय 140 लोगों को नियुक्ति दी गई। रैकेट के तार स्वास्थ्य महानिदेशालय से लेकर विभिन्न जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालयों तक जुड़े हैं।
अमर उजाला की 13 सितंबर 2025 की रिपोर्ट में इस घोटाले का खुलासा हुआ, जिसके बाद स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रतन पाल सुमन के निर्देश पर जांच शुरू हो गई है।
2008 में स्वास्थ्य महानिदेशालय ने 79 एक्स-रे टेक्नीशियनों की भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू की थी। 27 से 29 जुलाई 2008 तक इंटरव्यू के बाद 25 अगस्त को 79 अभ्यर्थियों की चयन सूची जारी की गई। इन अभ्यर्थियों ने 26 अगस्त से 15 सितंबर 2008 तक विभिन्न जिलों की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) पर जॉइनिंग कर ली। हालांकि, इसके बाद भी 61 अतिरिक्त लोगों को उसी भर्ती के तहत नियुक्ति दी गई, जो नियमों के खिलाफ थी। इनमें से कई लोगों ने फर्जी नियुक्ति पत्र और गलत पते देकर नौकरी हासिल की।
अमर उजाला को प्राप्त दो नियुक्ति पत्रों से घोटाले की परतें खुलीं। एक नियुक्ति पत्र 25 अगस्त 2008 का है, जिसमें फुरकान खान का नाम, सिसेंडी (लखनऊ) का पता, और सीतापुर सीएमओ के अधीन नियुक्ति दर्ज है। यह नाम 79 की चयन सूची में मौजूद है। वहीं, दूसरा नियुक्ति पत्र 20 सितंबर 2008 का है, जिसमें क्रम संख्या 67 पर पुष्पेंद्र सिंह का नाम, कंचनपुर (मैनपुरी) का पता, और बलिया सीएमओ के अधीन नियुक्ति दर्ज है। लेकिन चयन सूची में क्रम संख्या 67 पर हरिमोहन (आगरा) का नाम है, जिससे साफ है कि नियुक्ति पत्र में हेराफेरी की गई।
जांच में पता चला कि रैकेट ने सुनियोजित तरीके से अभ्यर्थियों के पते गलत दर्ज किए। इसका मकसद था कि पकड़े जाने पर नोटिस भेजने में दिक्कत हो और अभ्यर्थी कोर्ट में नोटिस न मिलने का हवाला देकर राहत पा सकें। उदाहरण के लिए:
- कन्नौज की तालग्राम सीएचसी में कार्यरत मनोज का पता फिरोजाबाद का शिकोहाबाद दर्ज है, जबकि वह कन्नौज के जलालाबाद क्षेत्र के अटारा का निवासी है।
- बदायूं की उसवा सीएचसी में कार्यरत सुधीर का पता धुमरी सिद्धपुर रोड (एटा) दर्ज है, लेकिन वह एटा के अलीगंज क्षेत्र के लड़सिया उर्फ लुतफुल्लापुर का निवासी है।
- चंदौली की चकिया सीएचसी में कार्यरत विनोद का पता जलालापुर रामनगर (एटा) दर्ज है, जबकि वह एटा के अलीगंज के जैथरा का निवासी है।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रतन पाल सुमन के निर्देश पर निदेशक (नर्सिंग) की अध्यक्षता में गठित एक जांच समिति इस मामले की पड़ताल कर रही है। विभिन्न जिलों के सीएमओ से नियुक्ति पत्रों और जॉइनिंग विवरण की रिपोर्ट मांगी गई है। सूत्रों के अनुसार, जांच में फर्जीवाड़े के लिए स्वास्थ्य महानिदेशालय और सीएमओ कार्यालयों की मिलीभगत की बात सामने आई है। 2008 की भर्ती में शामिल कई अधिकारी, जिनमें तत्कालीन महानिदेशक, निदेशक पैरामेडिकल, और अनुभाग अधिकारी शामिल हैं, अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन उनसे पूछताछ की जाएगी।
इस घोटाले में स्वास्थ्य महानिदेशालय की भूमिका संदेह के घेरे में है। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करने और उनके सत्यापन में लापरवाही बरती गई। तत्कालीन निदेशक पैरामेडिकल डॉ. एसी त्रिपाठी के हस्ताक्षर से सभी नियुक्ति पत्र जारी हुए थे। सूत्रों का कहना है कि फर्जीवाड़े के सबूत वाली फाइलें जल चुकी हैं, जिसने जांच को और जटिल बना दिया है।
2008 की एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती घोटाला उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार और लापरवाही का एक बड़ा उदाहरण है। फर्जी नियुक्ति पत्र, गलत पते, और महानिदेशालय से लेकर सीएमओ कार्यालयों तक रैकेट की मिलीभगत ने सिस्टम की कमजोरियों को उजागर किया है। जांच के बाद सख्त कार्रवाई की उम्मीद है, जिसमें दोषी अधिकारियों और फर्जी अभ्यर्थियों से वेतन की वसूली और कानूनी कार्रवाई शामिल हो सकती है।
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