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यूपी में बिजली होगी महंगी: 40-45% दर वृद्धि का प्रस्ताव, प्रति यूनिट इतने रुपये तक हो सकता है खर्च

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उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को जल्द ही बड़ा झटका लग सकता है। उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने विद्युत नियामक आयोग (UPERC) को बिजली दरों में 40-45% की बढ़ोतरी का संशोधित प्रस्ताव भेजा है। अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो ग्रामीण और शहरी उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट बिजली के लिए 12 से 13 रुपये तक चुकाने पड़ सकते हैं, जिसमें फिक्स चार्ज, विद्युत कर और अन्य शुल्क शामिल होंगे।

प्रस्तावित दरें और फिक्स चार्ज में बढ़ोतरी
प्रस्ताव के अनुसार, ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं के लिए अधिकतम फिक्स चार्ज 8 रुपये प्रति यूनिट और शहरी उपभोक्ताओं के लिए 9 रुपये प्रति यूनिट हो सकता है। फिक्स चार्ज में भी भारी बढ़ोतरी प्रस्तावित है:

  • शहरी क्षेत्र: फिक्स चार्ज 110 रुपये से बढ़ाकर 190 रुपये प्रति किलोवाट।
  • ग्रामीण क्षेत्र: फिक्स चार्ज 90 रुपये से बढ़ाकर 150 रुपये प्रति किलोवाट।

वर्तमान और प्रस्तावित बिजली दरें
ग्रामीण घरेलू उपभोक्ता (वर्तमान दरें):

  • 0-100 यूनिट: 3.35 रुपये
  • 101-150 यूनिट: 3.85 रुपये
  • 151-300 यूनिट: 5 रुपये
  • 300 यूनिट से अधिक: 5.50 रुपये
  • बीपीएल (100 यूनिट तक): 3 रुपये

ग्रामीण घरेलू उपभोक्ता (प्रस्तावित दरें):

  • 0-100 यूनिट: 4.50 रुपये
  • 101-300 यूनिट: 7.00 रुपये
  • 300 यूनिट से अधिक: 8 रुपये
  • बीपीएल (100 यूनिट तक): 4 रुपये

शहरी घरेलू उपभोक्ता (वर्तमान दरें):

  • 0-100 यूनिट: 5.50 रुपये
  • 101-151 यूनिट: 5.50 रुपये
  • 151-300 यूनिट: 6 रुपये
  • 300 यूनिट से अधिक: 6.50 रुपये
  • बीपीएल (100 यूनिट तक): 3 रुपये

शहरी घरेलू उपभोक्ता (प्रस्तावित दरें):

  • 0-100 यूनिट: 6.50 रुपये
  • 101-300 यूनिट: 8 रुपये
  • 300 यूनिट से अधिक: 9 रुपये
  • बीपीएल (100 यूनिट तक): 4 रुपये

उपभोक्ता परिषद का विरोध
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इसे असंवैधानिक बताते हुए प्रस्ताव खारिज करने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि पावर कॉर्पोरेशन ने फिक्स चार्ज में बड़ा खेल किया है। वर्मा ने कहा कि बीजेपी के संकल्प पत्र में गरीबों को 100 यूनिट तक 3 रुपये प्रति यूनिट बिजली देने का वादा था, लेकिन अब इसे 4 रुपये कर दिया गया है। पहले चार स्लैब थे, जिन्हें घटाकर तीन कर दिया गया, और कुछ स्लैब में 50% से ज्यादा की बढ़ोतरी प्रस्तावित है।

वर्मा ने यह भी दावा किया कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये का सरप्लस बकाया है, जिसे लौटाने पर कोई चर्चा नहीं हो रही। उन्होंने सोमवार को नियामक आयोग में लोकमहत्व प्रस्ताव दाखिल कर इस मुद्दे को उठाया और आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय सिंह से मुलाकात की।

क्यों हो रही है दर वृद्धि?
पावर कॉर्पोरेशन ने बढ़ते खर्च और राजस्व घाटे का हवाला देते हुए यह प्रस्ताव दिया है। उनके अनुसार, 2024-25 में बिजली बिलों की केवल 88% वसूली हुई, जिससे घाटा 4,378 करोड़ से बढ़कर 13,542 करोड़ रुपये हो गया। 2025-26 में यह घाटा 19,600 करोड़ रुपये तक पहुंचने की आशंका है, जिसे कम करने के लिए यह बढ़ोतरी प्रस्तावित की गई है।

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