
मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल 27 अगस्त को अपने गांव जालना के अंतरवाली सराठी से हजारों समर्थकों के साथ मुंबई के लिए रवाना हो गए। वे 29 अगस्त से मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने वाले हैं, जिसमें उनकी मुख्य मांग मराठा समुदाय को कुनबी जाति के तहत ओबीसी श्रेणी में शामिल कर सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देना है।

जरांगे ने जोर देकर कहा कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा और गणेश उत्सव (27 अगस्त से शुरू) के दौरान किसी भी असुविधा से बचने के लिए उनके समर्थक पूरी सावधानी बरतेंगे।
जरांगे की रणनीति और सरकार पर दबाव
जरांगे ने 27 अगस्त को सुबह 10 बजे अपने गांव से ‘चलो मुंबई’ मार्च शुरू किया, जिसमें मराठवाड़ा क्षेत्र (बीड, छत्रपति संभाजीनगर, जालना) और अन्य जिलों से करीब 2,000 वाहनों में हजारों समर्थक शामिल हुए। मार्च का रास्ता अंतरवाली सराठी से शुरू होकर पैठण, शेवगांव, अहिल्यानगर, मालशेज घाट, कल्याण, वाशी, और चेंबूर होते हुए 28 अगस्त को आजाद मैदान पहुंचेगा। जरांगे ने इसे “आखिरी लड़ाई” करार देते हुए कहा, “हम बिना आरक्षण लौटेंगे नहीं।” उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर आरोप लगाया कि वे मराठा आरक्षण में अड़चनें डाल रहे हैं और सरकार की उकसावे की कोशिशों के बावजूद आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा।
गणेश उत्सव और प्रशासनिक चुनौतियां
महाराष्ट्र में गणेश उत्सव 27 अगस्त से शुरू हो रहा है, जो 10 दिनों तक चलता है। इस दौरान मुंबई में लाखों भक्त गणपति पंडालों में उमड़ते हैं, जिससे पुलिस और प्रशासन पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने का भारी दबाव रहता है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और बीजेपी ने जरांगे से आंदोलन स्थगित करने की अपील की, लेकिन जरांगे अडिग रहे। उन्होंने कहा, “हम गणेश उत्सव में कोई व्यवधान नहीं चाहते। मेरे समर्थक यह सुनिश्चित करेंगे कि भक्तों को कोई परेशानी न हो।”
हालांकि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने 26 अगस्त को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जरांगे को बिना अनुमति आजाद मैदान में प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी। कोर्ट ने कहा कि गणेश उत्सव के दौरान मुंबई में कानून-व्यवस्था की स्थिति नाजुक रहती है, और अनिश्चितकालीन प्रदर्शन से जनजीवन प्रभावित हो सकता है। कोर्ट ने सरकार को नवी मुंबई के खारघर में वैकल्पिक स्थान देने का सुझाव दिया। जरांगे ने जवाब में कहा कि उनके वकील कोर्ट में अपील करेंगे, और उन्हें भरोसा है कि “न्यायदेवता” उन्हें अनुमति देगी।
मराठा आरक्षण की मांग और कुनबी प्रमाणपत्र
मराठा समुदाय, जो महाराष्ट्र की आबादी का लगभग 33% है, चार दशकों से सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग कर रहा है। जरांगे की प्रमुख मांग है कि मराठाओं को कुनबी जाति (ओबीसी श्रेणी) में शामिल किया जाए, ताकि उन्हें 27% ओबीसी आरक्षण का लाभ मिले। इसके अलावा, वे ‘सगे-संबंधी’ प्रमाणपत्र के आधार पर कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने की मांग कर रहे हैं। जनवरी 2024 में, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जरांगे को आश्वासन दिया था कि मराठाओं को ओबीसी लाभ दिए जाएंगे, लेकिन इसका पूर्ण कार्यान्वयन बाकी है।
मराठा आरक्षण को लेकर शिंदे समिति को 6 महीने की मुदतवाढ दी गई है, जो हैदराबाद, मुंबई, और सातारा गजट के आधार पर कुनबी प्रमाणपत्रों की जांच कर रही है। जरांगे ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर 10% ओबीसी आरक्षण नहीं मिला, तो आंदोलन और तेज होगा।
मनोज जरांगे का 29 अगस्त से मुंबई में भूख हड़ताल का ऐलान मराठा आरक्षण की लंबी लड़ाई में एक नया मोड़ है। हाई कोर्ट के प्रतिबंध और गणेश उत्सव की पृष्ठभूमि में यह आंदोलन प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। जरांगे की शांतिपूर्ण प्रदर्शन की प्रतिबद्धता और लाखों समर्थकों का समर्थन उनकी ताकत है, लेकिन सरकार और कोर्ट के रुख से आंदोलन की दिशा तय होगी।
मराठा समुदाय की 33% आबादी और आगामी बीएमसी व स्थानीय चुनावों के मद्देनजर यह आंदोलन सत्तारूढ़ बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के लिए राजनीतिक रूप से संवेदनशील है। जरांगे की चेतावनी कि जो नेता आंदोलन में शामिल नहीं होंगे, उन्हें चुनाव में हराया जाएगा, इसकी गंभीरता को दर्शाती है।
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