
79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से अपने 12वें संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन सुदर्शन चक्र की घोषणा की। जन्माष्टमी से एक दिन पहले दिए गए इस भाषण में उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र से प्रेरित होकर 2035 तक भारत के लिए एक स्वदेशी हवाई रक्षा कवच और सटीक हमले की क्षमता विकसित करने का संकल्प लिया। यह मिशन इजरायल के आयरन डोम की तर्ज पर भारत को हवाई खतरों से बचाएगा और दुश्मनों पर कई गुना तेज पलटवार करेगा।

मिशन सुदर्शन चक्र का उद्देश्य
पीएम मोदी ने कहा कि यह मिशन एक शक्तिशाली हथियार प्रणाली होगी, जो दुश्मन के हमलों को निष्प्रभावी करने के साथ-साथ कई गुना तेज जवाबी कार्रवाई करेगी। इसका रक्षा कवच रेलवे स्टेशन, अस्पताल, धार्मिक स्थल और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों को हवाई हमलों, जैसे मिसाइलों और ड्रोनों, से सुरक्षित रखेगा। यह पूरी तरह स्वदेशी होगा, जिसमें अनुसंधान, विकास और विनिर्माण भारत में ही होगा। पीएम ने इसे आत्मनिर्भर भारत की ताकत का प्रतीक बताया और कहा कि यह प्रणाली सुदर्शन चक्र की तरह सटीक और लक्षित होगी।
प्रमुख विशेषताएं
- एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (IACCS): यह प्रणाली रडार, सेंसर और संचार प्रणालियों को जोड़कर हवाई खतरों का तुरंत पता लगाएगी और जवाब देगी। मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर में इसने सभी हवाई खतरों को निष्प्रभावी किया था।
- एकीकृत रॉकेट बल: रक्षा विशेषज्ञ संदीप उन्नीथन ने सुझाव दिया कि यह मिशन IACCS के साथ एक रॉकेट बल को जोड़ेगा, जो खतरों का पता लगाने और सटीक हमले करने में सक्षम होगा।
- आकाशतीर प्रणाली: भारत की स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली, जो ऑपरेशन सिंदूर में प्रभावी रही, इस मिशन का आधार होगी।
- एस-400 ट्रायम्फ: रूस से प्राप्त यह प्रणाली, जिसे वायुसेना पहले ही सुदर्शन चक्र कह चुकी है, 400 किमी तक लक्ष्य भेद सकती है। इसने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तानी विमानों को 300 किमी दूर नष्ट किया था।
- एआई और सटीक लक्ष्य: मिशन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और सटीक लक्ष्य प्रणाली का उपयोग होगा, जो सुदर्शन चक्र की तरह सटीक और प्रभावी होगी।
ऑपरेशन सिंदूर और क्षेत्रीय संदर्भ
मिशन की घोषणा मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर के बाद आई, जब भारत ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले (26 मृत) का जवाब देते हुए पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम किया और आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। पीएम ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की ताकत के कारण ही सेना ने बिना विदेशी आपूर्ति की चिंता किए पराक्रम दिखाया। उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि भारत आतंकवादियों और उनके समर्थकों में अंतर नहीं करेगा, और भविष्य में किसी भी दुस्साहस का जवाब सशस्त्र बल देंगे।
क्षेत्रीय तनाव और सिंधु जल संधि
पीएम ने सिंधु जल संधि को अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा कि यह भारत के किसानों के हक का पानी दुश्मन देश के खेतों को सींच रहा है। उन्होंने संधि को अस्वीकार करने का संकेत दिया। यह बयान 14 अगस्त को पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ द्वारा चीनी मॉडल पर रॉकेट बल बनाने की घोषणा के जवाब में भी आया।
समयसीमा और कार्यान्वयन
- 2035 तक: मिशन का लक्ष्य राष्ट्रीय रक्षा कवच को पूर्ण रूप से लागू करना है, जो रणनीतिक और नागरिक स्थानों को सुरक्षित करेगा।
- स्वदेशी विकास: मेक इन इंडिया के तहत अनुसंधान और उत्पादन भारत में होगा, जिसमें डीआरडीओ और निजी रक्षा कंपनियां शामिल होंगी।
- रणनीतिक स्थान: रेलवे, अस्पताल, धार्मिक स्थल और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों को ड्रोन और मिसाइल खतरों से बचाया जाएगा।
चुनौतियां
- तकनीकी जटिलता: आयरन डोम जैसी प्रणाली विकसित करने के लिए AI, रडार और मिसाइल तकनीक में प्रगति की जरूरत है।
- भू-राजनीतिक प्रभाव: मिशन और सिंधु जल संधि पर रुख से पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ सकता है।
- वित्तीय आवश्यकता: इस दशक लंबे प्रोजेक्ट के लिए भारी निवेश और समन्वय की जरूरत होगी।
मिशन सुदर्शन चक्र भारत की महत्वाकांक्षी योजना है, जो 2035 तक एक स्वदेशी, बहु-स्तरीय हवाई रक्षा और सटीक हमला प्रणाली स्थापित करेगी। यह आकाशतीर, एस-400, और रॉकेट बल को एकीकृत कर इजरायल के आयरन डोम से आगे निकलने का लक्ष्य रखती है। यह मिशन आत्मनिर्भर भारत और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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