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बरेली के बाद कासगंज में हिंसा, सड़कों पर उमड़ी भीड़, पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस से लिया स्थिति पर काबू

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उत्तर प्रदेश के बरेली में 26 सितंबर को ‘आई लव मोहम्मद’ मार्च के दौरान हुई हिंसा के बाद अब कासगंज में भी सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं सामने आई हैं। शुक्रवार की नमाज के बाद कासगंज में एक समुदाय के लोगों ने ‘आई लव मोहम्मद’ बैनर के समर्थन में प्रदर्शन किया, जो देखते ही देखते हिंसक हो गया।

प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर नारेबाजी की और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। कासगंज में इंटरनेट सेवाएं 48 घंटे के लिए निलंबित कर दी गई हैं, और धारा 163 (BNSS) के तहत बिना अनुमति प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है।

कासगंज में हिंसा का विवरण:
कासगंज के नदरई गेट और बिलराम गेट इलाकों में 27 सितंबर 2025 को सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह प्रदर्शन बरेली हिंसा और कानपुर में 4 सितंबर को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी जुलूस के दौरान ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर को लेकर दर्ज FIR के विरोध में था। प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की और कुछ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके जवाब में पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया।

कासगंज के पुलिस अधीक्षक (SP) कृष्ण कुमार विश्वनोई ने बताया कि स्थिति अब नियंत्रण में है, लेकिन संवेदनशील इलाकों में पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) की 10 कंपनियां तैनात की गई हैं। ड्रोन और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उपद्रवियों की पहचान की जा रही है, और अब तक 15 लोगों को हिरासत में लिया गया है।

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई:
कासगंज में हिंसा को रोकने के लिए पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की। डीएम प्रीति जायसवाल ने बताया कि इंटरनेट बंदी का फैसला अफवाहों और भड़काऊ सामग्री को रोकने के लिए लिया गया है। फ्लैग मार्च और ड्रोन निगरानी के साथ-साथ पुलिस ने स्थानीय धार्मिक नेताओं से शांति बनाए रखने की अपील की है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने बरेली और कासगंज की घटनाओं को “प्रायोजित साजिश” करार देते हुए सख्त कार्रवाई का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि उपद्रवियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए और आगामी दशहरा उत्सव को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की जाए।

बरेली हिंसा का प्रभाव:
बरेली में 26 सितंबर को हुई हिंसा, जिसमें इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा के आह्वान पर भीड़ ने पुलिस पर पथराव और आगजनी की थी, ने कासगंज में तनाव को बढ़ावा दिया। बरेली में 10 पुलिसकर्मी घायल हुए, और एक व्यक्ति की मौत की खबर है। वहां भी 48 घंटे के लिए इंटरनेट बंद है, और 25 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने दावा किया कि बरेली की हिंसा “पांच दिन पहले से प्रायोजित” थी, और एक वीडियो में गोलीबारी की आवाज सुनाई दी है।

वर्तमान स्थिति:
कासगंज में स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में बताई जा रही है। बाजार बंद हैं, और लोग घरों में रहने को मजबूर हैं। राशन, दूध, और सब्जियों की आपूर्ति प्रभावित हुई है, जिससे स्थानीय लोग परेशान हैं। बरेली और कासगंज दोनों जगह पुलिस ने ड्रोन और सीसीटीवी निगरानी बढ़ा दी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इन घटनाओं को पश्चिमी यूपी में निवेश और नोएडा इंटरनेशनल ट्रेड शो को प्रभावित करने की साजिश बताया है। विपक्षी नेता अखिलेश यादव ने लाठीचार्ज की निंदा की और इसे सरकार की कमजोरी बताया, जबकि बीजेपी नेताओं ने इसे शांति भंग करने की साजिश करार दिया।

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