जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। इस तनाव के बीच भारतीय सेना को रूस से इग्ला-एस मिसाइलों की नई खेप मिली है, जिससे उसकी वायु रक्षा क्षमता मजबूत हुई है। ये मिसाइलें बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS) हैं, जो दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों और ड्रोन से निपटने में अहम भूमिका निभाएंगी।
रक्षा सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि इग्ला-एस मिसाइलें कुछ हफ्ते पहले भारतीय सेना को मिली हैं और इन्हें सीमा पर तैनात अग्रिम टुकड़ियों को दिया जा रहा है। ये मिसाइलें सरकार की आपातकालीन खरीद शक्तियों के तहत 260 करोड़ रुपये के अनुबंध के हिस्से के रूप में खरीदी गई हैं। इससे खासकर पश्चिमी सीमा पर सेना की ताकत बढ़ेगी। भारतीय वायु सेना भी इन्फ्रा-रेड सेंसर आधारित VSHORADS मिसाइलों का उपयोग कर रही है।
हाल के वर्षों में, भारतीय सेना आपातकालीन और तेज खरीद के जरिए अपने हथियारों के भंडार को मजबूत कर रही है, ताकि युद्ध के दौरान उपकरणों की कमी न हो। इग्ला-एस के अलावा, सेना ने 48 और लॉन्चर और 90 VSHORADS मिसाइलों की खरीद के लिए निविदा जारी की है। साथ ही, लेजर बीम-राइडिंग VSHORADS का नया संस्करण भी जल्द हासिल करने की योजना है।
इग्ला-एस, पुरानी इग्ला मिसाइलों का उन्नत संस्करण है, जो 1990 से उपयोग में हैं। पुरानी मिसाइलों को एक भारतीय कंपनी ने अपग्रेड किया है। सेना को खासकर पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तानी ड्रोन से निपटने के लिए मिसाइलों और ड्रोन-रोधी तकनीक की जरूरत है। इसके लिए सेना ने स्वदेशी एकीकृत ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम (मार्क 1) तैनात किया है, जो 8 किलोमीटर दूर से ड्रोन को पकड़कर जाम करने, भटकाने या नष्ट करने में सक्षम है। इस सिस्टम ने हाल ही में जम्मू में पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया था।
रक्षा अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) ने भी लंबी दूरी का एक ऊर्जा हथियार विकसित किया है, जो ड्रोन, क्रूज मिसाइलों और विमानों को निशाना बना सकता है। साथ ही, सेना कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन और विमानों को पकड़ने के लिए निम्न-स्तरीय रडार हासिल करने पर काम कर रही है।
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