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ट्रंप के 50% टैरिफ का भारत पर असर: कपड़ा, आभूषण, कृषि क्षेत्र प्रभावित, इन सेक्टर्स को राहत

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% आयात शुल्क (25% सामान्य शुल्क और 25% अतिरिक्त जुर्माना) 27 अगस्त 2025 से लागू हो गए हैं। इस फैसले से भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात महंगा हो जाएगा, जिसका असर कई प्रमुख क्षेत्रों पर पड़ेगा। यह शुल्क रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने के जवाब में लगाया गया है। आइए समझते हैं कि यह टैरिफ किन क्षेत्रों को प्रभावित करेगा, किन्हें राहत मिलेगी और इसका समग्र असर क्या होगा।

प्रभावित क्षेत्र और असर

इस टैरिफ से भारत के लगभग 66% निर्यात, यानी करीब 60.2 अरब डॉलर का कारोबार प्रभावित होगा। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, प्रभावित क्षेत्रों का निर्यात 70% तक घट सकता है, जिससे लाखों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।

  1. टेक्सटाइल और परिधान: भारत का टेक्सटाइल क्षेत्र अमेरिका को 10.3 अरब डॉलर का निर्यात करता है, जो कुल टेक्सटाइल निर्यात का 28% है। 50% टैरिफ से भारतीय कपड़े और परिधान अमेरिकी बाजार में 30-35% महंगे हो जाएंगे, जिससे मांग में 20-25% कमी आ सकती है। वियतनाम (19% टैरिफ), बांग्लादेश (20% टैरिफ) और इंडोनेशिया (20% टैरिफ) जैसे देशों को प्रतिस्पर्धा में फायदा होगा। तिरुपुर, नोएडा और बेंगलुरु जैसे उत्पादन केंद्रों पर दबाव बढ़ेगा, जिससे रोजगार पर असर पड़ सकता है।
  2. रत्न और आभूषण: यह क्षेत्र अमेरिका को 10 अरब डॉलर का निर्यात करता है, और अमेरिका इसका सबसे बड़ा बाजार है। नए टैरिफ से कीमतें बढ़ेंगी, जिससे सूरत और मुंबई में हजारों कारीगरों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। उदाहरण के लिए, 100 डॉलर का आभूषण अब 150 डॉलर का हो जाएगा, जिससे अमेरिकी उपभोक्ता सस्ते विकल्पों की ओर जा सकते हैं।
  3. कृषि और समुद्री उत्पाद: भारत अमेरिका को 5.6 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद निर्यात करता है, जिसमें झींगा (2.4 अरब डॉलर) और बासमती चावल प्रमुख हैं। झींगा निर्यात, जो कुल समुद्री खाद्य निर्यात का 66% है, विशेष रूप से प्रभावित होगा। आंध्र प्रदेश के किसानों पर इसका गहरा असर पड़ेगा, क्योंकि ऑर्डर पहले ही रुकने लगे हैं। बासमती चावल, मसाले और अन्य कृषि उत्पादों की बिक्री भी घट सकती है, जिससे पाकिस्तान और थाईलैंड को फायदा हो सकता है।
  4. अन्य क्षेत्र: चमड़ा और फुटवेयर (1.18 अरब डॉलर), कार्पेट (1.2 अरब डॉलर), हैंडीक्राफ्ट्स (1.6 अरब डॉलर), और मशीनरी (9 अरब डॉलर) जैसे क्षेत्रों पर भी असर पड़ेगा। इन क्षेत्रों में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा कमजोर होगी, क्योंकि वियतनाम, चीन और तुर्की जैसे देशों पर कम टैरिफ लगाया गया है। फर्नीचर और ऑर्गेनिक केमिकल्स जैसे क्षेत्र भी प्रभावित होंगे।

अप्रभावित क्षेत्र

कुछ क्षेत्रों को इस टैरिफ से छूट मिली है, जिससे भारत के लगभग 30% निर्यात (मुख्य रूप से फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम उत्पाद) पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

  1. फार्मास्यूटिकल्स: भारत का फार्मा क्षेत्र अमेरिका को 10.5 अरब डॉलर का निर्यात करता है, जो कुल फार्मा निर्यात का 40% है। विश्लेषकों के अनुसार, इस क्षेत्र को फिलहाल टैरिफ से छूट दी गई है। हालांकि, ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि दवाएं अमेरिका में नहीं बनाई गईं तो भविष्य में 200% तक टैरिफ लग सकता है।
  2. इलेक्ट्रॉनिक्स: स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स (10.6 अरब डॉलर) को भी टैरिफ से छूट मिली है। यह भारत का सबसे बड़ा निर्यात क्षेत्र है, और सेक्शन 232 की समीक्षा के बिना इस पर शुल्क नहीं लगाया जा सकता।
  3. पेट्रोलियम उत्पाद: रिफाइंड पेट्रोलियम (4.1 अरब डॉलर) को भी टैरिफ से छूट दी गई है, जिससे इस क्षेत्र पर कोई तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

समग्र असर और विशेषज्ञों की राय

ट्रंप के 50% टैरिफ से भारत के 86.5 अरब डॉलर के कुल निर्यात में से 48-60 अरब डॉलर का कारोबार प्रभावित होगा। GTRI का अनुमान है कि प्रभावित क्षेत्रों का निर्यात 70% तक गिरकर 18.6 अरब डॉलर तक रह सकता है, जिससे भारत का अमेरिका को कुल निर्यात 43% तक कम हो सकता है। इससे तिरुपुर, सूरत, नोएडा और विशाखापट्टनम जैसे उत्पादन केंद्रों में लाखों नौकरियां खतरे में हैं।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (FIEO) के अध्यक्ष एस.सी. रल्हन ने कहा कि यह टैरिफ भारत के सबसे बड़े निर्यात बाजार में सामान की आपूर्ति को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा, खासकर रत्न-आभूषण और टेक्सटाइल क्षेत्र में। अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने चेतावनी दी कि 50% टैरिफ भारतीय परिधान उद्योग को अमेरिकी बाजार से बाहर कर सकता है।

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की मजबूत घरेलू मांग और अन्य बाजारों (चीन, लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व) में अवसर तलाशने की रणनीति से नुकसान सीमित हो सकता है। किशोर ओस्तवाल (सीएनआई इन्फोएक्सचेंज) के अनुसार, भारत के 50-55% निर्यात पर असर नहीं पड़ेगा, और अमेरिका में बढ़ती कीमतों से वहां महंगाई बढ़ने का खतरा है। अजय केडिया (केडिया सिक्योरिटीज) ने कहा कि रत्न-आभूषण जैसे क्षेत्रों में 50% तक निर्यात गिर सकता है, लेकिन अमेरिका को भारत जैसे बड़े आपूर्तिकर्ता के विकल्प ढूंढने में मुश्किल होगी।

भारत की रणनीति

भारत सरकार निर्यातकों के लिए राहत पैकेज पर विचार कर रही है, जिसमें 25,000 करोड़ रुपये का निर्यात संवर्धन मिशन शामिल है। इसके तहत ब्याज सब्सिडी, जीएसटी रिफंड और विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) सुधार जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि किसानों और छोटे उद्यमियों के हितों से कोई समझौता नहीं होगा। भारत अन्य बाजारों में हिस्सेदारी बढ़ाने और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (FTA) पर जोर दे सकता है।

ट्रंप का 50% टैरिफ भारत के टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण, कृषि, चमड़ा और मशीनरी जैसे क्षेत्रों के लिए बड़ा झटका है, जिससे निर्यात में 43-70% की गिरावट और लाखों नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम क्षेत्रों को छूट मिलने से भारत का 30% निर्यात सुरक्षित है। भारत को दीर्घकालिक निर्यात रणनीति और वैकल्पिक बाजारों पर ध्यान देना होगा ताकि इस नुकसान को कम किया जा सके।

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