अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हफ्तों की तनावपूर्ण आलोचना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दोबारा संपर्क साधा है। जून में हुई आखिरी बातचीत के बाद से भारत-अमेरिका संबंधों में गिरावट आई थी, जब वॉशिंगटन ने रूसी तेल खरीद पर नई दिल्ली की आलोचना की और भारी टैरिफ लगाए। लेकिन मंगलवार को ट्रंप ने मोदी को 75वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर फोन कॉल कर गर्मजोशी भरी शुभकामनाएं दीं, जो द्विपक्षीय संबंधों में सुधार का संकेत माना जा रहा है।
जन्मदिन कॉल: पुराने तनाव भूलकर नई शुरुआत?
ट्रंप ने अपनी ट्रुथ सोशल पोस्ट में लिखा, “मेरे दोस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक शानदार फोन कॉल हुई। मैंने उन्हें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं दीं! वह शानदार काम कर रहे हैं। नरेंद्र: रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने में आपके समर्थन के लिए धन्यवाद!” यह कॉल 16 सितंबर को हुई, जो मोदी के 17 सितंबर को 75वें जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले थी। यह जून 17 को कनाडा के G7 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई आखिरी बातचीत के बाद दोनों नेताओं की पहली फोन कॉल थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जवाब देते हुए कहा, “मेरे दोस्त राष्ट्रपति ट्रंप, मेरे 75वें जन्मदिन पर फोन कॉल और गर्मजोशी भरी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद। आपके समान, मैं भी भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हूं। हम यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए आपकी पहलों का समर्थन करते हैं।”
यह कॉल ऐसे समय हुई जब भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को नई गति मिली है। अमेरिकी दूतावास के एक प्रवक्ता ने बताया कि 16 सितंबर को दिल्ली में सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच और भारत के वाणिज्य मंत्रालय के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के बीच सकारात्मक बैठक हुई, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के अगले चरणों पर चर्चा हुई। ट्रंप ने 9 सितंबर को ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया था कि भारत और अमेरिका व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए वार्ता जारी रखेंगे।
तेल विवाद और टैरिफ: संबंधों में आई दरार
जून के बाद से संबंधों में गिरावट का मुख्य कारण रूसी तेल खरीद रहा। ट्रंप प्रशासन ने भारत को रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार बताते हुए आलोचना की, दावा किया कि यह यूक्रेन युद्ध को लंबा खींच रहा है। अगस्त में ट्रंप ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की, जो कुल 50% हो गया। यह कदम रूसी तेल आयात को रोकने के लिए था, क्योंकि भारत की 42% तेल जरूरत रूस से पूरी हो रही थी।
ट्रंप ने कहा था कि भारत रूसी तेल से “लाभ उठा रहा है” जबकि यूक्रेन में “खूनखराबा” हो रहा है। भारत ने इसे “अनुचित” बताते हुए कहा कि ऊर्जा सुरक्षा राष्ट्रीय हित है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पश्चिमी देशों की “पाखंडिता” पर सवाल उठाया, क्योंकि यूरोप भी रूस से व्यापार करता है। इन टैरिफ से भारत के निर्यात-प्रधान क्षेत्र जैसे कपड़ा, रत्न-आभूषण, सीफूड और ऑटोमोबाइल प्रभावित हुए, जो अमेरिका को 87 अरब डॉलर के निर्यात पर निर्भर हैं।
ट्रंप ने चीन पर भी रूसी तेल खरीद के लिए टैरिफ की धमकी दी, लेकिन भारत पर सबसे कड़ी कार्रवाई की। विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम भारत-अमेरिका संबंधों में 2018 के बाद सबसे गंभीर संकट है।
सुधार के संकेत: यूक्रेन शांति और व्यापार पर फोकस
कॉल में दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध समाप्ति पर चर्चा की। ट्रंप ने भारत के समर्थन के लिए धन्यवाद दिया, जबकि मोदी ने शांतिपूर्ण समाधान की पहलों का समर्थन जताया। 6 सितंबर को ट्रंप ने भारत-अमेरिका बंधन को “विशेष” बताया था, जिसका मोदी ने तुरंत जवाब दिया।
यह कॉल व्यापार वार्ता के साथ आया, जो टैरिफ कम करने और कृषि क्षेत्र खोलने पर केंद्रित है। भारत ने अमेरिकी ऊर्जा आयात बढ़ाया है, लेकिन रूसी तेल पर निर्भरता बरकरार है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह “ओलिव ब्रांच” संबंधों को पटरी पर लाने का प्रयास है, लेकिन टैरिफ मुद्दा अनसुलझा है।
एक्स पर प्रतिक्रियाएं सकारात्मक रही हैं, जहां यूजर्स ने दोनों नेताओं की “दोस्ती” की तारीफ की। बीबीसी न्यूज ने इसे “व्यापार वार्ता के बीच जन्मदिन कॉल” बताया।
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