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जलवायु परिवर्तन से 2024 में प्याज-आलू के दाम इतने अधिक बढ़े, आर्थिक असमानता और कुपोषण का खतरा

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जलवायु परिवर्तन ने 2024 में भारत में खाद्य कीमतों, खासकर प्याज और आलू, में 80% से अधिक की वृद्धि कर आम लोगों का बजट बिगाड़ दिया। बार्सिलोना सुपरकंप्यूटिंग सेंटर के मैक्सिमिलियन कोट्ज के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन ने खुलासा किया कि मई 2024 की भीषण गर्मी, जो जलवायु परिवर्तन के कारण 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म थी, ने फसलों की पैदावार और आपूर्ति शृंखलाओं को बुरी तरह प्रभावित किया। इससे सब्जियों की कीमतों में भारी उछाल आया, जिसने न केवल खाद्य सुरक्षा बल्कि आर्थिक असमानता और स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डाला।

अध्ययन की मुख्य बातें

  • अध्ययन का दायरा: यूरोपीय सेंट्रल बैंक, पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च, और यूके की फूड फाउंडेशन के विशेषज्ञों ने 2022-2024 के बीच 18 देशों में 16 खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का विश्लेषण किया। भारत में मई 2024 की गर्मी को “विशिष्ट रूप से असामान्य” बताया गया, जो ग्लोबल वार्मिंग के कारण और तीव्र हुई।
  • 2024 का रिकॉर्ड: 2024 वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म वर्ष रहा, जिसमें औसत तापमान औद्योगिक-पूर्व स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक था। भारत में मई की गर्मी ने प्याज और आलू की पैदावार को नष्ट कर दिया, जिससे दूसरी तिमाही में इनके दाम 80% से अधिक बढ़ गए।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

  1. खाद्य सुरक्षा पर असर:
  • बढ़ती कीमतों ने कम आय वाले परिवारों को सबसे अधिक प्रभावित किया। ये परिवार सस्ते, कम पौष्टिक भोजन पर निर्भर हो गए, जिससे कुपोषण, मधुमेह, हृदय रोग, और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया।
  • अध्ययन के अनुसार, खाद्य कीमतों में यह उछाल भारत जैसे विकासशील देशों में खाद्य सुरक्षा को और कमजोर कर रहा है, जहां घरेलू बजट का बड़ा हिस्सा भोजन पर खर्च होता है।
  1. आर्थिक असमानता:
  • खाद्य कीमतों में वृद्धि ने निम्न-आय वर्ग और धनी वर्ग के बीच की खाई को और चौड़ा कर दिया। गरीब परिवारों को पौष्टिक भोजन की पहुंच कम होने से उनकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ी।
  • जलवायु परिवर्तन से उपजी आपूर्ति शृंखला की समस्याओं ने न केवल कीमतें बढ़ाईं, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आय असमानता को भी बढ़ाया।
  1. महंगाई और राजनीतिक प्रभाव:
  • खाद्य कीमतों में वृद्धि ने समग्र महंगाई को बढ़ाया, जिससे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जैसे केंद्रीय बैंकों के लिए मूल्य स्थिरता बनाए रखना मुश्किल हो गया।
  • अध्ययन ने चेतावनी दी कि उच्च महंगाई चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकती है और लोकलुभावन या उग्रवादी दलों के लिए समर्थन बढ़ा सकती है।

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

  • फसल उत्पादन पर: मई 2024 की गर्मी ने प्याज और आलू की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया। एचएसबीसी विश्लेषण के अनुसार, अब जलाशय स्तरों की तुलना में तापमान खाद्य कीमतों की भविष्यवाणी का बेहतर पैमाना है।
  • अन्य देशों में उदाहरण: अध्ययन में बताया गया कि घाना और आइवरी कोस्ट में कोको की कीमतें फरवरी 2024 में 280% बढ़ीं, क्योंकि जलवायु परिवर्तन ने गर्मी को 4 डिग्री सेल्सियस और तीव्र किया। इसी तरह, ब्राजील और वियतनाम में कॉफी की कीमतें 55-100% बढ़ीं, और यूरोपीय संघ में जैतून तेल की कीमतें 50% बढ़ीं।

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