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काबुल में दूतावास का दर्जा, भारत-अफगानिस्तान संबंधों में नया अध्याय; पाकिस्तान के आरोपों पर तालिबान का खंडन

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भारत ने काबुल में अपने तकनीकी मिशन को पूर्ण दूतावास का दर्जा देकर अफगानिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंधों को नई ऊंचाई प्रदान कर दी है। यह कदम न केवल तालिबान शासन के साथ भारत के जुड़ाव को मजबूत करता है, बल्कि दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय राजनीति में भारत की सक्रिय भूमिका को भी रेखांकित करता है।

विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को घोषणा की कि यह अपग्रेड तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है, जो अफगानिस्तान के समग्र विकास, मानवीय सहायता और क्षमता निर्माण में भारत की प्रतिबद्धता को बढ़ावा देगा। दूतावास का संचालन एक वरिष्ठ राजनयिक द्वारा चार्ज डी’अफेयर्स के रूप में किया जाएगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 10 अक्टूबर को तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के साथ बैठक में इस निर्णय की पुष्टि की थी, जिससे दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की बहाली के संकेत मिले।

2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने काबुल में दूतावास के कर्मचारियों को वापस बुला लिया था और 2022 में तकनीकी टीम भेजी थी, जो मानवीय सहायता और वीजा सेवाओं के लिए काम कर रही थी। अब दूतावास के दर्जे से भारत-तालिबान संबंधों में गहराई आएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, हालांकि भारत ने अभी तक ऐसा कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है। मुत्तकी की भारत यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने व्यापार, खनन क्षेत्र में सहयोग और चाबहार पोर्ट के माध्यम से कनेक्टिविटी बढ़ाने पर भी चर्चा की।

अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के भारत विरोधी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। रक्षा मंत्री मौलवी मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर हिंसा में भारत की कथित संलिप्तता के दावों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान कभी किसी देश को अपनी धरती का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं देगा और भारत व पाकिस्तान दोनों के साथ उसके संबंध राष्ट्रीय हितों पर आधारित हैं। मुजाहिद ने जोर देकर कहा कि काबुल स्वतंत्र विदेश नीति अपनाता है और पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहता है। यह बयान 11 अक्टूबर को काबुल धमाकों के बाद सीमा पर भड़की हिंसा के संदर्भ में आया, जहां पाकिस्तान ने भारत पर उकसावे का आरोप लगाया था।

पाकिस्तान की ओर से लगातार आरोपबाजी जारी है। 18 अक्टूबर को आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने भारत को चेतावनी दी कि न्यूक्लियर माहौल में किसी को युद्ध की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा किसी भी मामूली उकसावे पर पाकिस्तान का जवाब निर्णायक और भयंकर होगा, जो सैन्य और आर्थिक नुकसान पहुंचाएगा।

मुनीर ने भारत पर पाकिस्तान में आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाया और दावा किया कि हालिया संघर्ष में पाकिस्तानी सेना ने श्रेष्ठ प्रदर्शन किया। भारत ने इन बयानों को पाकिस्तान की पुरानी आदत बताते हुए खारिज किया, जबकि अफगानिस्तान ने दोहा समझौते के कार्यान्वयन पर चर्चा के लिए तुर्की में बैठक बुलाई है।

कुल मिलाकर, काबुल में दूतावास का पुनर्स्थापन भारत की क्षेत्रीय कूटनीति की नई दिशा का प्रतीक है। यह न केवल अफगानिस्तान में विकास और मानवीय प्रयासों को गति देगा, बल्कि दक्षिण एशिया में स्थिरता के लिए भारत की भूमिका को मजबूत करेगा। पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच यह कदम पड़ोसी देशों के साथ संतुलित संबंधों की भारत की रणनीति को उजागर करता है।

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