
कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने राहुल गांधी की तुलना संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर से करते हुए कहा कि यदि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) राहुल गांधी के विचारों को समझे, तो वे OBC समुदाय के लिए “दूसरे आंबेडकर” साबित होंगे। यह बयान दिल्ली में तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित ‘OBC नेतृत्व भागीदारी न्याय सम्मेलन’ में राहुल गांधी के भाषण के बाद आया, जहां उन्होंने OBC के मुद्दों पर अपनी कमी स्वीकारी और जातिगत जनगणना को लागू करने का संकल्प जताया।

उदित राज का बयान
उदित राज ने एक्स पर लिखा, “तेलंगाना में हुई जाति जनगणना समाज का एक्स-रे है। राहुल गांधी का उद्देश्य इसे देशभर में लागू करना है। उनके विचार दूरदर्शी हैं। यदि दलित और OBC समुदाय उनके साथ आए, तो हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और सामाजिक असमानता कम होगी। OBC को राहुल गांधी के तालकटोरा स्टेडियम में दिए गए बयान को समझना चाहिए। यदि वे ऐसा करते हैं, तो राहुल गांधी उनके लिए दूसरा आंबेडकर साबित होंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि OBC को यह मौका बार-बार नहीं मिलेगा, और उन्हें राहुल गांधी के समर्थन में एकजुट होना चाहिए।
राहुल गांधी का OBC सम्मेलन में बयान
25 जुलाई को तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित ‘OBC नेतृत्व भागीदारी न्याय सम्मेलन’ में राहुल गांधी ने OBC समुदाय के प्रति अपनी कमी स्वीकारी। उन्होंने कहा, “मुझे राजनीति में 21 साल हो गए हैं। आत्मनिरीक्षण करने पर मुझे लगता है कि मैंने आदिवासियों, दलितों, और अल्पसंख्यकों के लिए अच्छा काम किया। जमीन अधिग्रहण कानून, मनरेगा, और नियमगिरी की लड़ाई जैसे कदम मेरे सही फैसले थे। लेकिन OBC के मुद्दों की रक्षा में मैं चूक गया। उस समय मुझे OBC के मुद्दे गहराई से समझ नहीं आए।”
राहुल ने स्वीकार किया कि OBC के मुद्दे छिपे हुए और जटिल हैं, जो दलितों और आदिवासियों के मुद्दों की तरह आसानी से सामने नहीं आते। उन्होंने कहा, “अगर मुझे पहले OBC की समस्याओं का अंदाजा होता, तो मैं उसी समय जातिगत जनगणना करवा देता। यह मेरी निजी गलती है, कांग्रेस की नहीं। लेकिन अब मैं इसे ठीक करने जा रहा हूं।” उन्होंने यह भी बताया कि तेलंगाना में शुरू हुई जाति जनगणना अगर पहले हुई होती, तो वह आज जैसी प्रभावी नहीं होती।
सामाजिक और आर्थिक असमानता पर जोर
राहुल गांधी ने देश की 90% आबादी—दलित, OBC, आदिवासी, और अल्पसंख्यक—को अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा, “देश का बजट बनता है, लेकिन जब हलवा बांटा जाता है, तो उसमें 90% आबादी का कोई प्रतिनिधि नहीं होता। आप हलवा बनाते हैं, लेकिन उसे कोई और खा रहा है। हम यह नहीं कह रहे कि वे हलवा न खाएं, लेकिन आपको भी तो हिस्सा मिलना चाहिए।” उन्होंने जातिगत जनगणना को सामाजिक और आर्थिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
जातिगत जनगणना का महत्व
राहुल गांधी और उदित राज ने तेलंगाना में शुरू हुई जाति जनगणना को एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया। राहुल ने इसे “सामाजिक एक्स-रे” करार देते हुए कहा कि यह देश की सामाजिक और आर्थिक संरचना को समझने का सबसे सटीक तरीका है। उदित राज ने जोर दिया कि जातिगत जनगणना से OBC और दलित समुदायों को उनकी आबादी के अनुपात में संसाधन और अवसर मिल सकते हैं, जिससे सामाजिक असमानता कम होगी।
राहुल गांधी का OBC मुद्दों पर आत्मनिरीक्षण और जातिगत जनगणना की वकालत सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। उदित राज की तुलना ने इस मुद्दे को और गहराई दी है, जो OBC समुदाय को संगठित करने और उनकी आवाज को राष्ट्रीय मंच पर लाने की कोशिश है। यह देखना होगा कि यह बयान और जातिगत जनगणना की मांग आगामी चुनावों और सामाजिक नीतियों को कैसे प्रभावित करती है।
The post कांग्रेस नेता ने की राहुल गांधी की तुलना बाबासाहेब आंबेडकर से, बोले- ‘वे OBC के लिए साबित होंगे दूसरे आंबेडकर’ appeared first on Live Today | Hindi News Channel.