तमिलनाडु के करूर में 27 सितंबर को अभिनेता से राजनेता बने विजय की तमिलगा वेट्री कड़गम (टीवीके) की रैली के दौरान हुई भगदड़ में 41 लोगों की मौत और 60 से अधिक लोगों के घायल होने के बाद, टीवीके ने मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ में एक याचिका दायर की है।
पार्टी ने इस त्रासदी की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की है, जिसमें इसे एक साजिश का हिस्सा बताया गया है। दूसरी ओर, भगदड़ के एक पीड़ित, सेंथिलकन्नन ने, अदालत से टीवीके को तब तक रैलियां आयोजित करने की अनुमति देने से रोकने की मांग की है, जब तक कि जिम्मेदारी तय नहीं हो जाती और सुरक्षा प्रोटोकॉल सुनिश्चित नहीं किए जाते।
टीवीके की याचिका और साजिश का दावा
टीवीके के वकील और पार्टी के कानूनी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एस अरिवलगन ने रविवार को जस्टिस एम धनदपनी के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए स्वत: संज्ञान लेने और स्वतंत्र जांच की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि केवल एक स्वतंत्र एजेंसी ही इस बड़े पैमाने पर हुई जनहानि के कारणों का पता लगा सकती है। जस्टिस धनदपनी ने वकीलों को मदुरै पीठ के समक्ष औपचारिक याचिका दायर करने का निर्देश दिया, जिसकी सुनवाई सोमवार, 29 सितंबर को दोपहर 2:15 बजे होनी है। टीवीके ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में भी शिकायत दर्ज की है, जिसमें दावा किया गया कि भगदड़ के पीछे साजिश थी, जिसमें कथित तौर पर पथराव और पुलिस की लाठीचार्ज शामिल थी।
सेंथिलकन्नन की याचिका: रैलियों पर रोक की मांग
करूर भगदड़ के पीड़ित सेंथिलकन्नन ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर तमिलनाडु पुलिस को टीवीके की रैलियों की अनुमति देने से रोकने की मांग की है। उनकी याचिका में कहा गया है कि यह त्रासदी लापरवाहीपूर्ण नियोजन, भीड़ प्रबंधन की कमी और सुरक्षा के प्रति उदासीनता का परिणाम थी। उन्होंने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(b) के तहत सभा के अधिकार का हवाला देते हुए कहा कि इसे जन सुरक्षा के अधिकार (अनुच्छेद 21) के साथ संतुलित करना होगा। सेंथिलकन्नन ने तर्क दिया कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, टीवीके की रैलियों की अनुमति देना और लोगों की जान को खतरे में डाल सकता है। करूर टाउन पुलिस ने टीवीके के नेताओं, जिसमें महासचिव ‘बस्सी’ आनंद, निर्मल कुमार और वीपी मथियालगन शामिल हैं, के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धाराओं, जैसे गैर-इरादतन हत्या और लापरवाही से मृत्यु का कारण बनाना, के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।
सरकारी प्रतिक्रिया और बिजली कटौती पर विवाद
तमिलनाडु सरकार ने भगदड़ की जांच के लिए पूर्व उच्च न्यायालय जज अरुणा जगदीशन की अध्यक्षता में एक एकल-न्यायाधीश आयोग गठित किया है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पीड़ितों के परिवारों के लिए 10 लाख रुपये और घायलों के लिए 1 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिजनों के लिए 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000 रुपये की सहायता की घोषणा की।
टीवीके ने दावा किया कि रैली स्थल पर बिजली कटौती के कारण अंधेरा हुआ, जिससे भगदड़ मची। हालांकि, तमिलनाडु सरकार की फैक्ट-चेक इकाई ने सोमवार को एक पोस्ट में स्पष्ट किया, “रैली में कोई बिजली कटौती नहीं हुई। टीवीके ने बिजली आपूर्ति बाधित करने का अनुरोध किया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कुछ लाइटों का मंद होना केवल पार्टी के जनरेटर में खराबी के कारण था।” जिला कलेक्टर और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) ने भी इसकी पुष्टि की। टीवीके ने इन दावों का खंडन करते हुए कहा कि केवल कोर्ट की निगरानी में या सीबीआई द्वारा जांच से सच्चाई सामने आ सकती है।
विजय का सदमा और सुरक्षा खतरा
सूत्रों के अनुसार, तमिलनाडु सरकार ने विजय और टीवीके के वरिष्ठ नेताओं को करूर सरकारी अस्पताल में घायलों से मिलने से रोक दिया, क्योंकि इससे स्थिति और बिगड़ सकती थी। विजय, जो इस त्रासदी से गहरे सदमे में हैं और सूत्रों के मुताबिक तब से खाना नहीं खा रहे, सोमवार की सुनवाई के बाद पीड़ित परिवारों से मिलने की योजना बना रहे हैं, बशर्ते उन्हें प्रशासन की अनुमति मिले। रविवार को विजय के चेन्नई स्थित नीलांकराई आवास पर बम की धमकी मिलने के बाद सुरक्षा बढ़ा दी गई। बम निरोधक दस्ते और स्निफर डॉग्स ने उनके आवास की तलाशी ली, और स्थानीय पुलिस ने 15 अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया। इस धमकी की जांच जारी है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और दोषारोपण
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री स्टालिन और टीवीके अध्यक्ष विजय दोनों को फोन कर शोक और चिंता व्यक्त की। विपक्षी नेता एडप्पादी के पलानीस्वामी और अन्य नेताओं ने भी इस त्रासदी पर दुख जताया और सख्त सुरक्षा उपायों की मांग की। टीवीके ने जहां साजिश का आरोप लगाया, वहीं तमिलनाडु पुलिस ने दावा किया कि रैली में अनुमानित 10,000 की तुलना में 27,000 की भीड़ थी, और आयोजकों ने सुरक्षा दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया। पुलिस ने पथराव और लाठीचार्ज के दावों को भी खारिज किया।
मद्रास उच्च न्यायालय की रविवार की सुनवाई रद्द
रविवार को एक अन्य याचिका, जिसमें सेंथिलकन्नन ने टीवीके की रैलियों पर रोक लगाने की मांग की थी, को जस्टिस एन सेंथिलकुमार की अवकाश पीठ ने रद्द कर दिया। अदालत ने पाया कि यह याचिका नई नहीं थी, बल्कि टीवीके की एक मौजूदा याचिका में हस्तक्षेप की मांग थी।
आगे की राह
मदुरै पीठ में सोमवार की सुनवाई इस मामले में भविष्य की दिशा तय कर सकती है। टीवीके की सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग और सेंथिलकन्नन की रैलियों पर रोक की याचिका से यह स्पष्ट है कि यह त्रासदी अब न केवल एक मानवीय दुखांत है, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक विवाद भी बन चुका है। टीवीके का दावा है कि यह एक सुनियोजित साजिश थी, जबकि सरकार और पुलिस आयोजकों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इस बीच, करूर जिला प्रशासन ने पीड़ितों की जानकारी के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन (04324-256306 और व्हाट्सएप 7010806322) शुरू की है।
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