
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के जोड़घाटी गांव में 16-17 अगस्त की रात करीब 2-3 बजे बादल फटने से भारी तबाही मची। इस आपदा में चार लोगों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हुए हैं।

गुज्जर बस्ती सोफेन में पहाड़ का हिस्सा ढहने से चार घर मलबे में दब गए, और गांव तक पहुंचने का 80% रास्ता बह गया। भारी बारिश ने कठुआ शहर और आसपास के इलाकों में जलमग्नता और भूस्खलन का कहर बरपाया, जिससे कई सड़कें और संपर्क मार्ग टूट गए।
घटना का विवरण
- स्थान और समय: बादल फटने की घटना राजबाग क्षेत्र के जोड़घाटी गांव में शनिवार-रविवार की दरमियानी रात हुई। यह सुदूर गांव कठुआ जिले में निचले हिमालयी क्षेत्र में स्थित है, जो भूस्खलन और बाढ़ के लिए संवेदनशील है।
- नुकसान: चार घर पूरी तरह मलबे में दब गए, और खेतों, संपत्तियों, और बुनियादी ढांचे को भारी क्षति पहुंची। कठुआ शहर में खड्ड (नाला) के ओवरफ्लो होने से जलमग्नता हो गई, जिसके कारण कई लोगों को नर्सिंग होम और सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी।
- जलस्तर में वृद्धि: भारी बारिश से उझ नदी का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है, और अन्य नदी-नालों में भी पानी का स्तर बढ़ गया है। जंगलोट, डिलवां, और जोड़ सहित कई इलाकों में भारी नुकसान की खबर है।
राहत और बचाव कार्य
पुलिस, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), और स्थानीय स्वयंसेवकों की संयुक्त टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद जोड़घाटी गांव तक पहुंचकर बचाव कार्य शुरू किया। अब तक:
- चार शव बरामद किए गए हैं।
- छह घायल व्यक्तियों को बचाकर अस्पताल पहुंचाया गया है, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
- कठुआ के जम्मू-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे ट्रैक को नुकसान पहुंचा है, जिससे यातायात बाधित हुआ है। कठुआ पुलिस स्टेशन भी जलमग्न हो गया है।
जिला प्रशासन ने राहत शिविर स्थापित किए हैं और प्रभावित परिवारों को भोजन, पानी, और आश्रय प्रदान किया जा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की टीमें क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत में जुटी हैं, और वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था की जा रही है।
प्रशासन और नेताओं की प्रतिक्रिया
- कठुआ जिला प्रशासन: स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है, और लोगों से नदियों और जलाशयों से दूर रहने की अपील की गई है। हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं ताकि आपात स्थिति में सहायता मांगी जा सके।
- केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह: उन्होंने एक्स पर लिखा, “एसएसपी कठुआ शोभित सक्सेना से बात की। जंगलोट क्षेत्र में बादल फटने से चार लोगों की मौत हुई है। रेलवे ट्रैक, राष्ट्रीय राजमार्ग, और कठुआ पुलिस स्टेशन को नुकसान पहुंचा है। नागरिक प्रशासन, सेना, और अर्धसैनिक बल बचाव कार्य में जुटे हैं। मृतकों के परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं।”
- उमर अब्दुल्ला: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने हाल की हिमालयी आपदाओं पर जोर देते हुए जोखिम न्यूनीकरण के लिए विशेषज्ञों से सलाह लेने की जरूरत बताई।
क्षेत्र में भूस्खलन और अन्य प्रभाव
कठुआ थाना क्षेत्र के बागड़ और चांगडा गांवों, और लखनपुर थाना क्षेत्र के दिलवान-हुतली में भूस्खलन की खबरें हैं, लेकिन इन क्षेत्रों से बड़े नुकसान की सूचना नहीं है। जम्मू-पठानकोट राजमार्ग पर तेज बहाव ने सड़क का हिस्सा बहा दिया, जिससे कई घंटों तक वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं।
किश्तवाड़ की त्रासदी से तुलना
यह घटना किश्तवाड़ में 14 अगस्त 2025 को हुए बादल फटने की त्रासदी के ठीक बाद हुई, जिसमें 60 लोगों की मौत हुई और 75 से अधिक लोग लापता हैं। किश्तवाड़ में मचैल माता यात्रा के दौरान चशोती गांव में आपदा ने भारी तबाही मचाई थी, और वहां बचाव कार्य अभी भी जारी हैं। कठुआ की घटना ने जम्मू-कश्मीर में बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं की गंभीरता को और उजागर किया है।
बढ़ते बादल फटने के कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके प्रमुख कारण हैं:
- जलवायु परिवर्तन: अनियमित मानसून और तीव्र बारिश की घटनाएं।
- वनों की कटाई: प्राकृतिक अवरोधों का कम होना।
- अनियंत्रित निर्माण: पहाड़ी ढलानों पर अस्थिर निर्माण।
- नदीतल खनन: नदियों की जल अवशोषण क्षमता में कमी।
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