
लखनऊ के इटौंजा क्षेत्र में गोमती नदी के उफान से कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं। खेतों में पानी भरने से धान, लौकी, तोरई, भिंडी और करेला जैसी फसलें डूब गई हैं। सड़कों पर जलभराव ने आवागमन को मुश्किल कर दिया है। जिलाधिकारी (डीएम) ने प्रभावित गांवों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।

गोमती नदी का जलस्तर बढ़ने से इटौंजा के लासा, सुल्तानपुर और बहादुरपुर गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। नदी के किनारे बसे इन गांवों के खेतों में पानी भरने से किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं। पशुओं के लिए चारे की भी कमी हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की ओर से समय पर मदद नहीं मिली, जिससे नुकसान बढ़ गया।
डीएम विशाख जी ने सोमवार को लासा और बहादुरपुर गांवों का निरीक्षण किया। उन्होंने लासा में बाढ़ कंट्रोल रूम स्थापित करने और नायब तहसीलदार, कानूनगो, लेखपाल व सचिव को वहां कैंप करने का आदेश दिया। बसहरी पुल से बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया गया। डीएम ने बीकेटी एसडीएम साहिल कुमार को कंट्रोल रूम के माध्यम से हालात पर नजर रखने और ग्रामीणों की मदद सुनिश्चित करने को कहा।
स्वास्थ्य सुविधाएं और सतर्कता
डीएम ने लासा, सुल्तानपुर और बहादुरपुर में 24 घंटे स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती के निर्देश दिए। बाढ़ में सांपों के खतरे को देखते हुए एंटीवेनम इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा। ग्रामीणों को राशन के साथ माचिस और मोमबत्ती उपलब्ध कराने के लिए पूर्ति विभाग को निर्देश दिए गए। जलस्तर बढ़ने की आशंका को देखते हुए सुल्तानपुर, बहादुरपुर, लासा, मैकूपुरवा, इकडरिया खुर्द और इकडरिया कला में नावों और एसडीआरएफ की मोटरबोट की व्यवस्था की गई।
जलस्तर और जलभराव की स्थिति
गोमती नदी का जलस्तर खतरे के निशान 109 मीटर से केवल पांच सेमी नीचे है, लेकिन लगातार बढ़ रहा है। लासा, सुल्तानपुर और बहादुरपुर की मुख्य सड़कों पर एक से डेढ़ फीट पानी जमा है, जिससे आवागमन बाधित है। ग्रामीण बढ़ते जलस्तर को लेकर चिंतित हैं।
ग्रामीणों की मांग और समस्याएं
लासा गांव के लोगों ने डीएम से इटौंजा-माल रोड पर बनी पुलिया की मरम्मत की मांग उठाई, जिसका तल ऊंचा होने से बाढ़ का पानी गांव में घुस रहा है। पिछले साल भी यह मांग उठी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। डीएम ने पानी उतरने के बाद समस्या के समाधान का आश्वासन दिया। लासा के देवी प्रसाद और जीत बहादुर जैसे किसानों के पंपिंग सेट बाढ़ में छह फीट गहरे पानी में डूब गए, क्योंकि पानी इतनी तेजी से बढ़ा कि निकालने का मौका नहीं मिला।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
डीएम ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों को तेज करने और फसलों के नुकसान का आकलन करने के निर्देश दिए। बीकेटी तहसीलदार विजय कुमार सिंह ने कहा कि पिछले साल बाढ़ प्रभावित किसानों को 52 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था। यदि कोई किसान मुआवजा न मिलने की शिकायत करता है, तो वह तहसील में संपर्क कर सकता है।
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