
औरैया जिले के असेनी गांव में एक मुस्लिम युवक वाकर अली ने अपनी हिंदू पत्नी भागवती की मृत्यु के बाद हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार कर इंसानियत की अनूठी मिसाल पेश की। 55 वर्षीय भागवती, जो मानसिक रूप से कमजोर थीं, को वाकर ने करीब 30 साल तक पत्नी की तरह रखा। शुक्रवार को बीमारी से उनका निधन हो गया।

वाकर अली, मूल रूप से रसूलाबाद के उसरी विला गांव के निवासी, 30 साल पहले असेनी गांव आए थे। निकाह न होने के कारण मुस्लिम समुदाय ने भागवती के शव को कब्रिस्तान में दफनाने से इनकार कर दिया। इसके बाद वाकर ने हिंदू समाज से मदद मांगी। हिंदू समाज ने आगे बढ़कर दिबियापुर के मुक्तिधाम में भागवती का हिंदू रीति-रिवाजों के साथ अंतिम संस्कार कराया।
वाकर ने बताया कि वह और भागवती एक खंडहर साधन सहकारी समिति की इमारत में रहते थे। इससे पहले उनके बेटे का अंतिम संस्कार मुस्लिम रीति-रिवाज से कब्रिस्तान में हुआ था। दिबियापुर के मुतवल्ली मसीद कादरी ने कहा, “वाकर ने हिंदू महिला को पत्नी की तरह रखा और उसका अंतिम संस्कार हिंदू रीति से हुआ। यह इंसानियत की मिसाल है। अगर महिला मुस्लिम होती, तो दाह संस्कार संभव नहीं था।”
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