सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत दे दी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका को भी बड़ी पीठ के पास भेज दिया। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा, “केजरीवाल ने 90 दिन जेल में बिताए। वह एक निर्वाचित नेता हैं और यह उन पर निर्भर करता है कि वह मुख्यमंत्री की भूमिका में बने रहना चाहते हैं या नहीं।”
17 मई को पीठ ने केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे। शीर्ष अदालत ने 15 अप्रैल को केजरीवाल की याचिका पर ईडी से जवाब मांगा था। केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 9 अप्रैल के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है, जिसमें मामले में उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखा गया था। उच्च न्यायालय ने मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए कहा था कि इसमें कोई अवैधता नहीं है और ईडी के पास “बहुत कम विकल्प” बचे हैं, क्योंकि उन्होंने बार-बार समन का पालन नहीं किया और जांच में शामिल होने से इनकार कर दिया।
हालांकि, ईडी ने अगले दिन दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया और तर्क दिया कि केजरीवाल को जमानत देने वाला निचली अदालत का आदेश “विकृत”, “एकतरफा” और “गलत” था तथा निष्कर्ष अप्रासंगिक तथ्यों पर आधारित थे। हाईकोर्ट ने 21 जून को ईडी की अंतरिम राहत के आवेदन पर आदेश पारित होने तक ट्रायल कोर्ट के जमानत आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। 25 जून को हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए विस्तृत आदेश पारित किया था।
कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में 26 जून को सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को भी गिरफ्तार किया था। यह मामला दिल्ली सरकार की 2021-22 की आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है, जिसे अब रद्द कर दिया गया है।
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