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आगरा में नकली दवा रैकेट का पर्दाफाश: ठुकराई इतने करोड़ की रिश्वत, छह के खिलाफ केस

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आगरा में उत्तर प्रदेश की विशेष कार्य बल (एसटीएफ) और औषधि विभाग की संयुक्त कार्रवाई में नकली दवाओं के बड़े रैकेट का भंडाफाश हुआ है। इस दौरान हे मां मेडिकल एजेंसी के संचालक हिमांशु अग्रवाल को एक करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया, और बरामद एक करोड़ रुपये को आगरा कोषागार में जमा करने का आदेश दिया।

शहर के फव्वारा दवा बाजार में चल रहे नकली दवाओं के कारोबार के खिलाफ 22 अगस्त की शाम को एसटीएफ और औषधि विभाग ने मोती कटरा स्थित हे मां मेडिको और गोगिया मार्केट की बंसल मेडिकल एजेंसी पर छापेमारी की। इस दौरान 3.32 करोड़ रुपये की नकली दवाएं बरामद की गईं, जिनमें सनोफी कंपनी की एलेग्रा 120 एमजी की 2.97 लाख टैबलेट शामिल थीं। जांच में पता चला कि ये दवाएं चेन्नई और पुडुचेरी से पार्सल के जरिए मंगवाई जा रही थीं और उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, नेपाल, बांग्लादेश सहित 11 राज्यों में सप्लाई की जा रही थीं।

थाना कोतवाली में छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया, जिनमें हिमांशु अग्रवाल, एमएस लॉजिस्टिक्स के संचालक यूनिस उस्मानी, वारिस, फरहान, और लखनऊ की फर्म के संचालक विक्की व सुभाष कुमार शामिल हैं। सहायक आयुक्त औषधि नरेश मोहन दीपक की शिकायत पर यह कार्रवाई शुरू हुई, जब सूचना मिली कि हिमांशु बड़े पैमाने पर नकली दवाओं का कारोबार कर रहा है। छापेमारी के दौरान हिमांशु ने कार्रवाई रोकने के लिए एक करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की, जिसे एसटीएफ इंस्पेक्टर यतींद्र शर्मा ने ठुकरा दिया और उसे रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।

जांच में खुलासा हुआ कि नकली दवाएं ब्रांडेड कंपनियों जैसे ग्लेनमार्क, जायडस, सन फार्मा और सनोफी के नाम पर तैयार की जा रही थीं। इनके क्यूआर कोड और पैकिंग असली जैसे दिखते थे, लेकिन कंपनी प्रतिनिधियों ने इन्हें नकली होने की पुष्टि की। दवाओं की कीमत 10 रुपये में तैयार कर 100 रुपये में बेची जा रही थी, जिससे भारी मुनाफा कमाया जा रहा था।

एसटीएफ और औषधि विभाग की टीमें चौथे दिन भी जांच में जुटी रहीं। बरामद दवाओं में से 14 सैंपल लैब जांच के लिए भेजे गए हैं। कैंट रेलवे स्टेशन से पकड़े गए एक टेंपो चालक आकिर मलिक ने बताया कि वह चेन्नई से पार्सल लाया था, जिसे लखनऊ भेजा जाना था। इस मामले में कुरियर कंपनियों के कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है।

हिमांशु अग्रवाल का कारोबार 350-450 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाला बताया जा रहा है, जो आगरा से लेकर चेन्नई, नेपाल और बांग्लादेश तक फैला हुआ था। वह हवाला के जरिए रकम जुटाने में भी शामिल था। एसटीएफ अन्य आरोपियों की तलाश में छापेमारी कर रही है, और इस रैकेट के और बड़े खुलासे की संभावना है।

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