नगला बूढ़ी में तेज रफ्तार कार से 5 मजदूरों की मौत के बाद इलाके में मातम पसरा है। रविवार को दुकानें खुलीं, लेकिन भीड़ गायब रही। शराब के ठेके बंद हैं, जिन पर सुबह से शराबियों का जमावड़ा और सड़क पर जाम लड़ाने का आरोप है। गुस्साए ग्रामीणों ने ठेकों को हटाने और मुआवजा देने की मांग की। तनाव को देखते हुए पुलिस के साथ पीएसी तैनात है। महिलाओं ने ठेकों के खिलाफ आक्रोश जताया, कहा- “ये मौत का कारण हैं।”
ठेकों पर गुस्सा, पुलिस पर लापरवाही का आरोप
स्थानीय प्रमोद, शिवा, रामवीर, नरेंद्र, हरेश ने कहा, “केंद्रीय हिंदी संस्थान से दयालबाग की तरफ कई ठेके हैं। सुबह से कतार लगती है, सड़क पर शराब पीते हैं, गाली-गलौज, झगड़ा करते हैं। तेज गाड़ियां चलाते हैं, हादसे का खतरा रहता है।” पुलिस आयुक्त के अभियान के बावजूद कार्रवाई नाकाफी। शिकायत पर खानापूर्ति होती है, लेन-देन कर चली जाती है। ग्रामीणों की मांग: ठेकों को आबादी से दूर या निरस्त किया जाए।
मुआवजे की मांग
मृतक मजदूर वर्ग के थे। कमाने वाले की मौत से परिवार संकट में। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री राहत कोष से मुआवजा मांगा। कहा, “मजदूरों के परिवार को आर्थिक मदद मिलनी चाहिए।”
पुलिस कार्रवाई
पुलिस ने ठेकों पर नजर रखी है। पीएसी तैनात। एसएसपी ने कहा, “तनाव नियंत्रण में। ठेकों पर सख्ती बढ़ाई जाएगी।” जांच में शराबियों की भूमिका खंगाली जा रही है।
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