
गुजरात के अहमदाबाद में ट्रैफिक पुलिस के नाम से लगाए गए पोस्टरों ने विवाद खड़ा कर दिया है, जिनमें महिलाओं से अपील की गई थी कि “दुष्कर्म से बचने के लिए घर पर ही रहें।” इन पोस्टरों को शहर के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से वस्त्राल और चांदखेड़ा जैसे क्षेत्रों में देखा गया।

विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP), ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे महिला विरोधी और लापरवाही भरा कदम बताया। विवाद बढ़ने के बाद अहमदाबाद ट्रैफिक पुलिस ने इन पोस्टरों को तत्काल हटवाया और स्पष्ट किया कि यह उनकी आधिकारिक पहल नहीं थी।
विवाद
1 अगस्त 2025 को अहमदाबाद में कुछ पोस्टर देखे गए, जिनमें अहमदाबाद सिटी पुलिस का लोगो और ट्रैफिक नियमों से संबंधित संदेशों के साथ-साथ यह विवादास्पद संदेश लिखा था: “दुष्कर्म और अपराधों से बचने के लिए महिलाएं रात में बाहर न निकलें, घर पर रहें।” इन पोस्टरों को एक निजी संगठन द्वारा प्रायोजित बताया गया, जो सामान्य रूप से ट्रैफिक जागरूकता के लिए पोस्टर जारी करता है। हालांकि, इस बार संदेश की भाषा और सामग्री को कई लोगों ने आपत्तिजनक और महिलाओं की स्वतंत्रता पर हमला माना। सोशल मीडिया पर इन पोस्टरों की तस्वीरें वायरल होने के बाद कांग्रेस और AAP ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा, इसे महिलाओं की सुरक्षा में विफलता और रूढ़िगत सोच का प्रतीक बताया।
पुलिस और सरकार की प्रतिक्रिया
अहमदाबाद पुलिस आयुक्त ज्ञानेंद्र सिंह मलिक ने तुरंत सफाई दी कि ये पोस्टर ट्रैफिक पुलिस की आधिकारिक पहल नहीं थे। उन्होंने कहा, “यह एक गलतफहमी है। एक निजी संगठन ने ट्रैफिक जागरूकता के लिए हमारे लोगो का उपयोग किया, लेकिन इस संदेश को हमने अनुमोदित नहीं किया। सभी पोस्टर हटा लिए गए हैं, और हम इसकी जांच कर रहे हैं।” गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया और जांच के आदेश दिए, यह सुनिश्चित करने के लिए कि भविष्य में ऐसी गलतियां न हों।
विपक्ष का हमला
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा, “यह पोस्टर बीजेपी की मानसिकता को दर्शाता है, जो महिलाओं को घरों में कैद करना चाहती है। क्या सरकार महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकती?” AAP की गुजरात इकाई ने इसे “महिलाओं की आजादी पर हमला” करार दिया और मांग की कि सरकार सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए। सोशल मीडिया पर #GujaratPoliceShame और #WomenSafety जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ
यह विवाद ऐसे समय में हुआ है जब गुजरात में हाल के महीनों में अपराध और सुरक्षा के मुद्दे चर्चा में रहे हैं। अप्रैल 2025 में चांदखेड़ा झील के पास अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई और बुलडोजर अभियान ने भी सुर्खियां बटोरी थीं, जिसे कुछ समुदायों ने सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की थी। इस बार पोस्टर विवाद ने बीजेपी सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है, खासकर जब विपक्ष इसे महिलाओं की सुरक्षा और स्वतंत्रता के मुद्दे से जोड़ रहा है।
सड़क सुरक्षा और अपराध का मुद्दा
पोस्टरों में ट्रैफिक नियमों के साथ-साथ अपराध से बचाव का संदेश देने की कोशिश की गई थी, लेकिन इसकी भाषा को रूढ़िगत और अव्यवहारिक माना गया। गुजरात में हाल के वर्षों में सड़क हादसों और अपराधों में वृद्धि देखी गई है। उदाहरण के लिए, मैनपुरी (उत्तर प्रदेश) में हाल ही में एक सड़क हादसे में जलभराव के कारण एक परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई थी, जो सड़क सुरक्षा की खामियों को उजागर करता है। अहमदाबाद में भी चांदखेड़ा और वस्त्राल जैसे क्षेत्रों में सड़क हादसों और छोटे-मोटे अपराधों की घटनाएं बढ़ी हैं।
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