औरंगजेब की कब्र को लेकर चल रहे विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा आक्रमणकारी मानसिकता वाले लोग भारत के लिए खतरा है
औरंगजेब की कब्र को लेकर चल रहे विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने रविवार को संगठन के रुख को मजबूती से व्यक्त करते हुए सवाल किया, “क्या हम किसी ऐसे व्यक्ति को प्रतीक बनाने जा रहे हैं जो भारत के मूल्यों के खिलाफ था?” उन्होंने आगे कहा, “आक्रमणकारी मानसिकता वाले लोग भारत के लिए खतरा हैं।”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के समापन के दिन यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए होसबोले ने कहा कि औरंगजेब को प्रतीक बनाया गया, न कि उसके भाई दारा शिकोह को, जो सामाजिक सद्भाव में विश्वास करता था।
“अतीत में बहुत सारी घटनाएं हुई हैं। दिल्ली में एक ‘औरंगजेब रोड’ थी, जिसका नाम बदलकर अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया। इसके पीछे कुछ कारण था। औरंगजेब के भाई दारा शिकोह को हीरो नहीं बनाया गया। गंगा-जमुनी संस्कृति की वकालत करने वालों ने कभी दारा शिकोह को आगे लाने के बारे में नहीं सोचा। क्या हम किसी ऐसे व्यक्ति को आइकॉन बनाने जा रहे हैं जो भारत की लोकाचार के खिलाफ था, या हम उन लोगों के साथ जाने वाले हैं जिन्होंने इस भूमि की परंपराओं के अनुसार काम किया?”
होसबोले ने मुगल बादशाह अकबर के खिलाफ लड़ने के लिए राजपूत राजा महाराणा प्रताप जैसे लोगों की सराहना की। आरएसएस नेता ने दावा किया कि “आक्रमणकारी मानसिकता” वाले लोग भारत के लिए खतरा हैं।
उन्होंने कहा, “अगर आजादी की लड़ाई अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी जाती है, तो यह आजादी की लड़ाई है। उनसे (अंग्रेजों से) पहले जो लोग थे, उनके खिलाफ लड़ाई भी आजादी की लड़ाई थी। महाराणा प्रताप ने जो किया, वह आजादी की लड़ाई थी। अगर आक्रमणकारी मानसिकता वाले लोग हैं, तो वे देश के लिए खतरा हैं। हमें तय करना होगा कि हम अपने देश के लोकाचार के साथ किसे जोड़ना चाहते हैं।
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