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Shahganj News श्री विष्णु महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत कथा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर भक्तों ने लगाई जयकारे, भक्ति में झूमे श्रद्धालु

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शाहगंज, जौनपुर। नगर के पश्चिमी कौड़िया, पक्का पोखरा गुरुधाम स्थित गुरूजी के प्राचीन बड़ा मंदिर में आयोजित श्री विष्णु महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन भक्तों का अपार जनसैलाब उमड़ा। प्रातः हवन पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने यज्ञस्थल की 108 परिक्रमाएं कीं, जो देर रात तक जारी रहीं।

शाम को कथा व्यास पंडित गोपीनाथ शास्त्री जी द्वारा श्रीमद् भागवत कथा सुनाई गई, जिसमें भारी संख्या में भक्तों ने भाग लिया। कथा के दौरान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग आते ही पूरा पंडाल “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” जयकारों से गूंज उठा।

कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की लीला का वर्णन

कथा व्यास पं. गोपीनाथ शास्त्री जी ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तब भगवान श्रीकृष्ण को अवतरित होना पड़ा। जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, जेल के बंधन टूट गए और वे गोकुल पहुंचे। उन्होंने कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं।

श्रद्धालु इस पावन प्रसंग को सुनकर भाव-विभोर हो उठे और भजनों की धुन पर गाते-झूमते दिखे। कथा के बीच “श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी” जैसे भजनों पर भक्तों की श्रद्धा देखते ही बनी।

महिलाओं ने गाए भजन, बांटी मिठाईयां और खिलौने

भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे को बधाई दी, मिठाइयां और खिलौने बांटे। बड़ी संख्या में महिलाओं ने भजन गाकर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाया।

कथा आयोजन में इनकी रही महत्वपूर्ण भूमिका

श्री विष्णु महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत कथा को विधि-विधान पूर्वक संचारित करने में यज्ञाचार्य पं. जनार्दन दुबे, उपाचार्य पं. प्रकाश चंद्र दुबे, व्यवस्थापक पं. केशव नाथ त्रिपाठी, सहयोगी पं. सुरेंद्र चंद्र त्रिपाठी, पं. दिवाकर जी, पं. अभय मिश्र, पं. सूरज त्रिपाठी, पं. अंकुर मिश्र, पं. रिंकू जी, पं. रामजी मिश्र, पं. अनिल तिवारी शास्त्री ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

श्रद्धालुओं ने लिया आशीर्वाद, कथा के बाद हुआ प्रसाद वितरण

कथा के दौरान यजमान सहित कई भक्तों ने व्यासपीठ का पूजन कर कथा व्यास का आशीर्वाद लिया। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को श्रीमद् भागवत कथा का रसपान अवश्य करना चाहिए।

कार्यक्रम के अंत में महाआरती के बाद श्रद्धालुओं में प्रसाद का वितरण किया गया।

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