Home जौनपुर Jaunpur News लोकमाता हिन्दू रानी अहिल्यबाई होलकर का अंग्रेज भी मानते थे...

Jaunpur News लोकमाता हिन्दू रानी अहिल्यबाई होलकर का अंग्रेज भी मानते थे लोहा : अशोक चौरसिया

0

 

एक साहसी नेतृत्व के साथ ही रानी अहिल्याबाई में बहुत ही कुशल राजनीति क्षमता थी : पुष्पराज सिंह

जौनपुर: महारानी अहिल्याबाई होल्कर को मालवा में आज भी बहुत ही आदर और सम्मान के साथ याद किया जाता है आज उनकी 300वीं जयंती है उसी अवसर आज जौनपुर मे सीहीपुर स्थित भाजपा कार्यालय पर कार्यक्रम आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने की। मुख्य अतिथि के रूप जिला प्रभारी एव काशी क्षेत्र के महासचिव अशोक चौरसिया रहे। कार्यक्रम का सुभारम्भ लोकमाता रानी अहिल्याबाई होलकर के चित्र पर एव पार्टी के पुरोधा पंडित दीन दयाल उपाध्याय और डाक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर माल्यार्पण कर एव बंदे मातरम गीत गाकर की गई। कार्यक्रम का संचालन सयुंक रूप से सुशील मिश्र और अनिल गुप्ता ने की।

मुख्य अतिथि अशोक चौरसिया ने अहिल्या बाई होलकर के बारे मे विस्तार से चर्चा करते हुये कहा कि मध्य भारत के मालवा में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ऐसा नाम है जो अपने जीवन में उतार चढ़ाव के अलावा सुशासन, लोकल्याणकारी राज्य और धार्मिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए किए कार्यों के लिए ज्यादा जानी जाती हैं कई लोग उन्हें संत के तौर पर देखते हैं और कई उन्हें महान शासक के तौर पर देखते हैं मालवा क्षेत्र में मां-साब के रूप में मशहूर इस रानी की अंग्रेज इतिहासकारों और लेखकों ने ने भी भरपूर तारीफ की है। उन्होंने आगे कहा कि जब दूर दूर तक कही महिला सैनिक नही थी तो उस समय मे भी उन्होंने हजारों महिला सैनिक तैयार की थी और हजरो बंदूक उन्होंने यूरोप से मगाई थी।

कृपाशंकर सिंह ने कहा कि अहिल्याबाई की जीवन बहुत समय तक सुखी नहीं रहा कम उम्र में ही उनके पति खांडेराव होल्कर युद्ध में मारे गए उसके कुछ सालों बाद उनके ससुर का भी देहांत हो गया और फिर उसके अगले ही साल उनके बेटे मालेराव भी चल बसे इन हालात में अहिल्याबाई ने पेशवा से निवेदन किया कि वह खुद मालवा की बागडोर अपने हाथ में लेना चाहती हैं जिसे स्वीकार कर लिया गया।

पूर्व विधायक सुषमा पटेल ने कहा कि उनका विवाह अल्प आयु मे ही हो गई थी इनको आठ साल की उम्र में उन्हें मालवा के शासक मल्हार राव होल्कर ने देखा जब वह पुणे जाते समय उनके गांव में रुके थे उनकी नजर गरीबों को खाना खिला रहीं अहिल्याबाई पर पड़ी अहिल्या के दया और करुणा के भाव को देख कर मल्हार राव ने उन्हें अपनी बहू बनाने का फैसला किया जिसके बाद मल्हार राव के पुत्र खांडेराव के साथ अहिल्या बाई का विवाह हो गया।

पूर्व विधायक हरेंद्र सिंह ने कहा कि मालवा की गद्दी संभालने के बाद राज्य में कुछ विरोध के बावजूद अहिल्याबाई को सेना सहित लगभग सभी का समर्थन मिला एक साल के भीतर ही उन्हें आक्रांताओं का सामना करना पड़ा और रानी अहिल्याबाई ने आगे बढ़ कर अपनी सेना का कुशल नेतृत्व किया उन्होंने गोद लिए हुए पुत्र तुकाजीराव होल्कर को अपना सेनापति बनाया।

 जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने कहा कि एक साहसी नेतृत्व के साथ ही रानी अहिल्याबाई में बहुत ही कुशल राजनीति क्षमता भी थी उन्होंने मराठा साम्राज्य पर अंग्रेजों के खतरे को बहुत पहले ही भांप लिया था 1772 को पेशवा को लिखे एक पत्र में उन्होंने पेशवा को अंग्रेजों से सावधान रहना को कहा उन्होंने लिखा कि शेर को साहस और आक्रमकता से मारा जाता है, लेकिन चतुर रीछ को मारना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि एक बार उसके कब्जे में आने पर उसे मारना बहुत मुश्किल होता है ऐसा ही कुछ हाल अंग्रेजों का भी है।

जिलाध्यक्ष मछलीशहर अजय सिंह ने कहा कि अहिल्याबाई के 30 साल के शासन में इंदौर ने गांव से लेकर शहर सभी ने समृद्धि देखी रानी ने बहुत सारे किले और सड़कें बनवाईं वह कई त्योहारों का आयोजन करवाती थीं उन्होंने बहुत से मंदिरों को दान भी दिया था यहां तक कि अपने राज्य के बाहर भी उन्होंने मंदिर, घाट, कुएं, सराय आदि बनवाए थे इसमें काशी, गया ,सोमनाथ, अयोध्या, मथुरा, कांची आदि कई जगहों पर कई मंदिरों का सौंदर्यीकरण भी कराया।

आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में छात्राओं ने अहिल्याबाई के जीवन सिद्धांतों पर अपने विचार प्रस्तुत किए कार्यक्रम के अंत में विजेता छात्राओं को पुरस्कार वितरित किए गए और रानी अहिल्याबाई होल्कर के जीवन से जुड़ी मोटिवेशनल जानकारी साझा की गई।

उक्त अवसर पर संतोष सिंह विपिन द्विवेदी आमोद सिंह रागिनी सिंह नीरज मौर्य घनश्याम यादव परविंद्र चौहान शुभम मौर्य आदि उपस्थित रहे।

Previous articleJaunpur News अहिल्याबाई होलकर के समय किसानों पर किसी भी तरह का जुल्म नहीं होता था : गिरीश चंद्र यादव
Next articleJaunpur News तंबाकू के सेवन से पड़ती है निकोटीन की लत : डॉ अंजू सिंह