जौनपुर, 21 मार्च 2025: उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए योगी सरकार द्वारा उठाए गए तमाम कठोर कदमों के बावजूद सरकारी तंत्र में रिश्वतखोरी अपनी जड़ें गहरी करता जा रहा है। सरकारी दफ्तरों में फैला भ्रष्टाचार न सिर्फ कानून-व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है, बल्कि शासन की पारदर्शिता पर भी गंभीर आघात पहुंचाता है। एंटी करप्शन टीम वाराणसी ने आज विकास भवन, जौनपुर के एक लेखा परीक्षक को 30,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
शिकायत और जालसाजी का पर्दाफाश
नेवढ़िया थाना क्षेत्र के परशुरामपुर गांव निवासी वीरेंद्र कुमार ने एंटी करप्शन टीम को शिकायत दी थी कि उसकी माता सुदामा (ग्राम प्रधान) द्वारा कराए गए विकास कार्यों के ऑडिट के नाम पर 30 हजार रुपये की अवैध मांग की गई। पीड़ित द्वारा दी गई शिकायत का संज्ञान लेते हुए एंटी करप्शन टीम ने योजनाबद्ध तरीके से जाल बिछाया और मछलीशहर बस स्टैंड पर आरोपी को रिश्वत लेते हुए दबोच लिया।
कौन है गिरफ्तार आरोपी?
गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान सत्य नारायण (पुत्र दीनानाथ) के रूप में हुई है, जो ज्येष्ठ लेखा परीक्षक, लेखा परीक्षा विभाग, विकास भवन, जौनपुर के पद पर कार्यरत था। आरोपी मूल रूप से ग्राम घाटमपुर, पोस्ट मेलारा बेलवाई माधोपुर, अखंडनगर, जनपद सुल्तानपुर का निवासी है।
प्रशासनिक तंत्र में भ्रष्टाचार की गहरी पैठ
इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि प्रशासनिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार किस कदर हावी है। उत्तर प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों के बावजूद, रिश्वतखोरी सरकारी कर्मचारियों के लिए कमाई का साधन बनी हुई है। लेखा परीक्षक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बैठे अधिकारी जब घूसखोरी में लिप्त पाए जाते हैं, तो यह न केवल प्रशासनिक नैतिकता का पतन दर्शाता है, बल्कि शासन की साख पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
मुख्य बिंदु:
✔ 30 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार
✔ ग्राम प्रधान द्वारा कराए गए कार्यों के ऑडिट के नाम पर मांगी गई थी घूस
✔ एंटी करप्शन टीम वाराणसी की योजनाबद्ध कार्रवाई से भ्रष्टाचार का खुलासा
✔ सरकारी तंत्र में व्याप्त रिश्वतखोरी पर फिर उठे गंभीर सवाल
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई गई है, लेकिन इस घटना से स्पष्ट होता है कि सरकारी मशीनरी में अभी भी रिश्वतखोरी का दंश गहराई तक व्याप्त है। अब देखना यह होगा कि शासन-प्रशासन इस पर क्या ठोस कार्रवाई करता है।