जौनपुर:
यूपी बोर्ड परीक्षा 2025 को नकलविहीन और सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए हैं। इसके बावजूद, 19 स्टैटिक मजिस्ट्रेट परीक्षा केंद्रों पर अपनी ड्यूटी से नदारद पाए गए, जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया।
जिला मजिस्ट्रेट के सख्त तेवर, हो सकती है कार्रवाई
जिला मजिस्ट्रेट डॉ. दिनेश चंद्र सिंह ने इस लापरवाही को अनुशासनहीनता और कर्तव्य के प्रति लापरवाही माना है। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि इन मजिस्ट्रेटों पर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
क्या था आज का शेड्यूल?
सूत्रों के मुताबिक, सभी परीक्षा केंद्रों पर स्टैटिक मजिस्ट्रेट, बाह्य केंद्र व्यवस्थापक और केंद्र व्यवस्थापक/प्रिंसिपल के संयुक्त हस्ताक्षर से बोर्ड प्रश्नपत्र और कॉपी का मिलान किया जाना था। इसके अलावा, सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा भी अनिवार्य थी।
सरकार की सख्ती के बावजूद लापरवाही
यूपी सरकार ने बोर्ड परीक्षा को नकलविहीन बनाने के लिए कई सख्त नियम लागू किए हैं। जिला मजिस्ट्रेट डॉ. दिनेश चंद्र सिंह और जिला पुलिस प्रमुख डॉ. कौस्तुभ ने परीक्षा की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर शांति समिति, मीडिया, जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS), बीएसए और केंद्र व्यवस्थापकों के साथ बैठक की थी। इसके बावजूद, 19 स्टैटिक मजिस्ट्रेट ड्यूटी से नदारद रहे, जो जांच और कार्रवाई के दायरे में आते हैं।
कानूनी प्रावधान: क्या हो सकती है सजा?
यूपी बोर्ड परीक्षा अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कड़ी सजा और जुर्माने का प्रावधान है:
- धारा 14 – परीक्षा संचालन से जुड़ा व्यक्ति यदि अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता है, तो 7 वर्ष तक की सजा और जुर्माना।
- धारा 13 (4) – परीक्षा को प्रभावित करने के लिए धमकी, प्रलोभन या बल प्रयोग करने पर 10 वर्ष की सजा और 10 लाख तक का जुर्माना।
- धारा 13 (5) – साल्वर गिरोह के किसी भी व्यक्ति द्वारा ऐसा करने पर आजीवन कारावास और 1 करोड़ तक का जुर्माना।
- धारा 13 (3) – परीक्षा केंद्र से इतर किसी अन्य स्थान का प्रयोग करने पर 10 वर्ष तक की सजा और 5 लाख तक का जुर्माना।
अब क्या होगा?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जिला मजिस्ट्रेट इस अनुशासनहीनता पर क्या कार्रवाई करते हैं। प्रशासनिक सख्ती और कानूनी प्रावधानों को देखते हुए, लापरवाह स्टैटिक मजिस्ट्रेटों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कदम उठाए जाने की संभावना है।
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