जौनपुर: गौराबादशाहपुर धर्मापुर ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की बैठक टालने को लेकर हाईकोर्ट ने डीएम जौनपुर सहित 4 अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। इससे पहले, हाईकोर्ट ने सरकारी समय और संसाधनों के दुरुपयोग को देखते हुए डीएम जौनपुर पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया था।
हाईकोर्ट की सख्ती, डीएम समेत 4 को नोटिस
धर्मापुर ब्लॉक प्रमुख विमलेश यादव ने 19 मार्च को प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव की बैठक को टाले जाने के खिलाफ प्रयागराज हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार, जिलाधिकारी (DM), उपजिलाधिकारी (SDM) और जिला पंचायत राज अधिकारी (DPRO) को नोटिस जारी किया।
अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया और बैठक टालने का विवाद
- धर्मापुर ब्लॉक की वार्ड 37 की बीडीसी सदस्य नीलम पाल ने अधिकांश क्षेत्र पंचायत सदस्यों के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान सहित एक पत्र डीएम जौनपुर को सौंपा, जिसमें ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की मांग की गई थी।
- डीएम जौनपुर ने एसडीएम सदर पवन सिंह को 19 मार्च को वोटिंग कराने की जिम्मेदारी दी।
- 19 मार्च को वोटिंग शुरू होने से पहले ही एसडीएम सदर ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए और कुछ सदस्यों को नोटिस भेजने में देरी की आशंका जताते हुए बैठक को टाल दिया और 9 अप्रैल की नई तारीख घोषित कर दी।
हाईकोर्ट का सख्त रुख
इससे पहले, हाईकोर्ट ने पाया कि क्षेत्र पंचायत के कुल 44 सदस्यों में से 32 को 22 फरवरी को समय से नोटिस भेजा गया था, जबकि 12 को देर से सूचना दी गई।
हाईकोर्ट ने इसे सरकारी समय और संसाधनों का दुरुपयोग मानते हुए डीएम जौनपुर पर ₹10,000 का जुर्माना भी लगाया।
क्या होगा आगे?
- हाईकोर्ट ने डीएम, एसडीएम और अन्य अधिकारियों को जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया।
- अब प्रशासन 9 अप्रैल को प्रस्तावित नई बैठक की वैधता और हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करने को लेकर आगे की रणनीति तैयार करेगा।
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