जौनपुर। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद जोड़ों को विवाह के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना है, लेकिन जौनपुर में इस योजना में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिले में आयोजित सामूहिक विवाह समारोहों में कई अपात्र लोगों ने सात फेरे लेकर सरकारी धन प्राप्त किया। प्रशासन द्वारा अब इन मामलों की जांच की जा रही है।
फर्जीवाड़े का खुलासा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जौनपुर महोत्सव में आयोजित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में छह अपात्र जोड़ों की पहचान की गई है, जिनमें से एक मामला भाई-बहन की शादी का भी है। यह मामला सामने आने के बाद समाज कल्याण विभाग और प्रशासन में हड़कंप मच गया है। आरोप है कि समाज कल्याण विभाग ने विवाह की सूची जारी नहीं की थी, जिससे सत्यापन में भारी चूक हुई।
जिलाधिकारी का बयान
शुरुआत में जिलाधिकारी दिनेश चंद्र ने किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से इनकार किया, लेकिन जब प्रभारी मंत्री ए.के. शर्मा से इस विषय में सवाल किए गए तो डीएम ने स्वीकार किया कि मामला संज्ञान में है और अपात्र जोड़ों की सहायता राशि रोकी जा रही है।
सत्यापन में हुआ बड़ा खुलासा
मीडिया में मामला आने के बाद प्रशासन ने लाभार्थियों का सत्यापन शुरू किया, जिससे यह पता चला कि जिले के 21 ब्लॉक में 6 जोड़े अपात्र पाए गए। इनमें:
- सिकरारा ब्लॉक – 2 अपात्र जोड़े
- सिरकोनी ब्लॉक – 1 अपात्र जोड़ा
- रामनगर ब्लॉक – 1 अपात्र जोड़ा
- खुटहन ब्लॉक – 1 अपात्र जोड़ा
- मड़ियाहूं ब्लॉक – 1 अपात्र जोड़ा शामिल हैं।
इस मामले की जांच मुख्य विकास अधिकारी सीलम साईं तेजा कर रहे हैं।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
12 मार्च को जौनपुर महोत्सव के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 1038 जोड़ों को विवाह का आशीर्वाद दिया था। इसी समारोह में फर्जीवाड़े की बात सामने आई। सवाल यह उठ रहा है कि बिना सत्यापन के इन लाभार्थियों को योजना में शामिल कैसे किया गया?
मामले के उजागर होने के बाद प्रशासन अब अपात्र लाभार्थियों की 35,000 रुपये की सहायता राशि रोकने की बात कर रहा है, लेकिन इस लापरवाही की पूरी जिम्मेदारी किसकी होगी?
प्रशासन पर उठे सवाल
- बिना सत्यापन के लाभार्थियों का चयन कैसे हुआ?
- क्या योजना में शामिल अन्य विवाह भी फर्जी हो सकते हैं?
- सत्यापन में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई होगी?