
जौनपुर, उत्तर प्रदेश।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में एक फर्जी मुकदमा दर्ज करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। तत्कालीन थाना प्रभारी, दारोगा और रिटायर्ड पुलिस अधिकारी समेत 9 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, साजिश और फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने जैसी गंभीर धाराओं में केस दर्ज हुआ है। यह कार्रवाई वाराणसी जोन के अपर पुलिस महानिदेशक (ADG) के निर्देश पर की गई है।
🔴 क्या है पूरा मामला?
बागपत जिले के दोघट थाना क्षेत्र के गांव निरपुड़ा निवासी बृजपाल सिंह की 29 सितंबर 2012 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मृतक के बेटे निश्चय राणा ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। तभी से उस पर सुलह का दबाव बनाया जा रहा था।
आरोप है कि रिटायर्ड इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा और ग्राम प्रधान प्रताप सिंह राणा ने समझौते का दबाव बनाया। जब पीड़ित ने मना किया, तो उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड सहित कई राज्यों में फर्जी केस दर्ज कराए गए, जिनमें सामूहिक दुष्कर्म जैसे संगीन आरोप भी शामिल थे। हालांकि, वह सभी मामलों में बरी होता गया।
📍 जौनपुर में दर्ज कराया गया फर्जी मुकदमा
पीड़ित निश्चय राणा का आरोप है कि वर्ष 2019 में जौनपुर के लाइन बाजार थाना क्षेत्र में रहने वाले राम आसरे सिंह को पैसे का लालच देकर उसके खिलाफ झूठी शिकायत कराई गई। इस शिकायत के आधार पर तत्कालीन थाना प्रभारी संजय वर्मा ने वर्ष 2023 में धोखाधड़ी, गाली-गलौज समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज कर दिया।
इतना ही नहीं, विवेचना कर रहे दारोगा गोपाल जी तिवारी ने फर्जी तरीके से गैर इरादतन हत्या की धारा जोड़ दी और बिना गिरफ्तारी के ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी।
⚖️ ADG के आदेश पर मुकदमा दर्ज
पीड़ित ने यह पूरा मामला ADG वाराणसी जोन को बताया। मामले की गंभीरता को देखते हुए लाइन बाजार थाना में तत्कालीन इंस्पेक्टर संजय वर्मा, दारोगा गोपाल जी तिवारी, राम आसरे सिंह, बाबू, नीरज, रतनवीर उर्फ मोनू, रिटायर्ड इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा और ग्राम प्रधान प्रताप सिंह राणा के खिलाफ IPC की धाराएं 420, 467, 468, 469, 471, 506 और 120-B के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
📌 वर्तमान स्थिति
तत्कालीन इंस्पेक्टर संजय वर्मा, अब प्रमोशन पाकर फतेहगढ़ में सीओ पद पर तैनात हैं।
विवेचक गोपाल जी तिवारी अब भी जौनपुर जिले में तैनात हैं।
🚨 सवालों के घेरे में पुलिस की कार्यशैली
इस मामले के सामने आने के बाद जौनपुर पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। पीड़ित का कहना है कि उसके खिलाफ की गई सुनियोजित साजिश और पुलिस द्वारा फर्जी दस्तावेज़ों पर आधारित चार्जशीट दाखिल करना, कानून व्यवस्था और न्याय प्रक्रिया का उल्लंघन है।