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Jaunpur News आपातकाल की 49वीं बरसी पर जौनपुर में बीजेपी ने मनाया काला दिवस, संजय गोंड ने कांग्रेस पर साधा निशाना

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आपातकाल की 49वीं बरसी पर जौनपुर में बीजेपी ने मनाया काला दिवस, संजय गोंड ने कांग्रेस पर साधा निशाना

जौनपुर। भारतीय जनता पार्टी द्वारा आपातकाल की 49वीं बरसी को “काला दिवस” के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम का आयोजन जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह के नेतृत्व में किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री संजय गोंड, और विशिष्ट अतिथि भाजपा काशी क्षेत्र के पूर्व अध्यक्ष महेश चंद्र श्रीवास्तव उपस्थित रहे। इस अवसर पर 1975 के आपातकाल में जेल गए लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया गया और एक संगोष्ठी का आयोजन भी हुआ।

प्रेस की स्वतंत्रता छीनी गई थी: संजय गोंड

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मंत्री संजय गोंड ने कहा कि “आज से ठीक 50 साल पहले 25 जून 1975 को देश को आपातकाल की विभीषिका झेलनी पड़ी थी।” उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी राजनीतिक हार छिपाने के लिए पूरे देश में आपातकाल लागू कर दिया था।

उन्होंने कहा कि “प्रेस की स्वतंत्रता खत्म कर दी गई थी, पत्रकारों को बिना केस दर्ज किए जेल में डाला गया और विपक्ष की आवाज को दबा दिया गया।”

उन्होंने कहा कि आज भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रगति कर रहा है, जो कांग्रेस को हजम नहीं हो रहा।

आपातकाल की कानूनी पृष्ठभूमि: महेश चंद्र श्रीवास्तव

कार्यक्रम में महेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि “25-26 जून 1975 की रात को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल की घोषणा की थी।” उन्होंने बताया कि यह आपातकाल 21 मार्च 1977 तक लागू रहा और लोकतंत्र को भारी क्षति पहुंची।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला बना कारण: बृजेश सिंह प्रिंसू

एमएलसी बृजेश सिंह प्रिंसू ने कहा कि “आपातकाल की असली वजह इलाहाबाद हाईकोर्ट का वह फैसला था, जिसमें इंदिरा गांधी को चुनाव में कदाचार का दोषी ठहराया गया था।” उन्होंने बताया कि 1971 में हुए चुनाव में राजनारायण की याचिका पर अदालत ने इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया था। इसी के बाद उन्होंने आपातकाल की घोषणा की, जो भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ बन गया।

स्वतंत्रता का गला घोंट दिया गया था: सुरेन्द्र प्रताप सिंह

पूर्व विधायक सुरेन्द्र प्रताप सिंह, जो मात्र 17 वर्ष की उम्र में मीसा एक्ट के तहत जेल भेजे गए थे, उन्होंने कहा कि “आपातकाल के दौरान नागरिकों के सभी मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे। प्रेस, अभिव्यक्ति, और विरोध की आजादी पूरी तरह समाप्त कर दी गई थी।” उन्होंने कहा कि यह भारत के स्वतंत्रता के बाद का सबसे विवादास्पद काल था।

प्रेस पर जबरन सेंसरशिप: जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह

कार्यक्रम के आयोजक पुष्पराज सिंह ने कहा कि “आपातकाल के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जयप्रकाश नारायण जैसे नेताओं को जेल में डाला गया। प्रेस पर सेंसरशिप थोप दी गई और सेंसर अधिकारियों की अनुमति के बिना कोई खबर नहीं छप सकती थी।” उन्होंने कहा कि प्रशासन और पुलिस ने लोगों को प्रताड़ित किया और यह सब लोकतंत्र की हत्या का जीवंत उदाहरण था।

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