क्या आरोपियों को बचाने के लिए न्याय नहीं हो रहा?
परिधि न्यूज़ नेटवर्क, उत्तर प्रदेश
रिपोर्ट: गुलाब चंद्र यादव
अंबेडकर नगर जिले के अकबरपुर कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अल्लीपुर कोड़रा गांव में 9 मार्च को एक दुखद घटना घटी। गांव के निवासी विकास यादव गन्ना तौल केंद्र से ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर मिझौड़ा चीनी मिल के लिए निकले थे। तौल केंद्र और मिल मालिक दोनों एक ही जाति से थे, जबकि गन्ना परिवहन करने वाला यादव समुदाय से ताल्लुक रखता था।
हत्या की घटना कैसे हुई?
शाम के समय मंडी समिति के पास एक ई-रिक्शा चालक से गन्ना छू जाने के कारण विवाद हुआ। ई-रिक्शा चालक दबंग और प्रभावशाली व्यक्ति था। ट्रैफिक पुलिस ने दोनों को हटाया और गन्ना ट्रॉली को क्लीन चिट दे दी। लेकिन थोड़ी ही देर बाद ई-रिक्शा चालक अपने भाई और अन्य लोगों के साथ मिलकर ट्रैक्टर चालक विकास यादव पर हमला कर देता है। उसे दौड़ाकर गला कसकर हत्या कर दी जाती है। यह घटना शाम करीब 8 बजे की है।
हत्या के बाद ट्रैक्टर-ट्रॉली पूरी रात सड़क किनारे खड़ी रही, लेकिन पुलिस का ध्यान इस पर नहीं गया। विकास के भाई विशाल यादव और अन्य रिश्तेदार पूरी रात उसे खोजते रहे, लेकिन पुलिस को सूचना नहीं दी। अगले दिन सुबह 8 बजे विकास की लाश एक खेत में मिली।
पुलिस की लापरवाही और जांच में खामियां
हत्या के बाद कई सवाल उठते हैं:
- मंडी समिति से गोहन्ना चौराहे तक की दूरी मात्र 2 किलोमीटर है। विकास अगर डर गया था, तो उसने मिल मालिक या तौल केंद्र के मालिक को सूचना क्यों नहीं दी?
- अगर सूचना दी गई, तो इन लोगों ने पुलिस को पहले क्यों नहीं बताया?
- पुलिस गश्त पर थी, फिर भी सड़क किनारे खड़े ट्रैक्टर-ट्रॉली पर ध्यान क्यों नहीं गया?
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और आरोपियों की गिरफ्तारी
मृतक का पोस्टमार्टम 10 मार्च को दोपहर बाद किया गया। उसी दिन दोपहर 12 बजे मुकदमा दर्ज किया गया। नामजद आरोपियों में पिंटू गुप्ता और अशोक गुप्ता का नाम शामिल था, जबकि 7-8 अन्य अज्ञात थे।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का स्पष्ट कारण नहीं बताया गया, जिससे पुलिस ने आरोपी अशोक गुप्ता को छोड़ दिया। विवेचक श्रीनिवास पांडेय ने हत्या की धारा को गैर इरादतन हत्या में बदल दिया। मृतक के परिवार का कहना है कि विवेचक उनसे बातचीत नहीं कर रहे और जांच को गोल-गोल घुमा रहे हैं।
सीओ की सक्रियता, लेकिन नतीजा शून्य
अकबरपुर के सीओ देवेंद्र कुमार मौर्य ने 10 मार्च को सक्रियता दिखाते हुए ताबड़तोड़ छापे मारे और आरोपियों को थाने में बैठाया। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर पुलिस कुछ नहीं कह रही।
क्या न्याय मिलेगा?
विकास यादव की नृशंस हत्या के बावजूद पुलिस को अब तक ठोस सबूत नहीं मिले हैं। गवाहों की मौजूदगी और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के बावजूद हत्या को गैर-इरादतन करार दिया जा रहा है।
अगर भीड़ के रूप में किसी की हत्या कर दी जाए, तो इसे गैर-इरादतन नहीं माना जा सकता। न्याय की परिभाषा अब ऐसी हो गई है कि मृतक को खुद विवेचक और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर से मिलकर न्याय मांगना होगा।
निष्कर्ष
- पुलिस की लापरवाही से आरोपियों को बचने का मौका मिल रहा है।
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट को हत्या के सबूतों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है।
- पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए निष्पक्ष जांच जरूरी है।
क्या विकास यादव को न्याय मिलेगा या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?