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मेरठ की बिजली महापंचायत में निजीकरण के खिलाफ गरजे बिजली कर्मचारी, 9 अप्रैल को लखनऊ में होगा बड़ा आंदोलन

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मेरठ | 24 मार्च 2025

उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के खिलाफ संघर्ष तेज होता जा रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश और नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के नेतृत्व में मेरठ में आयोजित बिजली महापंचायत में हजारों बिजली कर्मचारियों ने एकजुट होकर निजीकरण के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया।

महापंचायत में 9 अप्रैल 2025 को लखनऊ में एक विशाल रैली करने की घोषणा की गई, जिसमें बिजली कर्मी सरकार के खिलाफ निर्णायक संघर्ष का शंखनाद करेंगे।

बिजली निजीकरण के खिलाफ आर-पार की लड़ाई

बिजली महापंचायत में बिजली कर्मचारियों ने संकल्प लिया कि किसी भी कीमत पर बिजली का निजीकरण नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो प्रदेशभर में बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।

इस मौके पर नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के सुभाष लांबा और इंटक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी अकेले नहीं हैं। इस संघर्ष में देशभर के 27 लाख बिजली कर्मचारी उनके साथ खड़े हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली कर्मचारियों का दमन करने की कोशिश की, तो देशभर के बिजली कर्मचारी आंदोलन छेड़ देंगे।

बिजली निजीकरण: सुधार नहीं, भ्रष्टाचार की बड़ी साजिश

बिजली महापंचायत में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि उत्तर प्रदेश सरकार 42 जिलों की बिजली निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है, लेकिन इसके पीछे सुधार की मंशा नहीं, बल्कि भारी भ्रष्टाचार छिपा है।

  • बिना मूल्यांकन हो रहा निजीकरण:
    • पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन ने न बिजली संपत्तियों का मूल्यांकन किया, न ही वितरण निगमों के राजस्व क्षमता (Revenue Potential) की गणना की।
    • इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 131 के नियमों की भी अनदेखी की गई है।
    • ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति में कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट का खुला उल्लंघन किया गया है।

निजीकरण से तीन गुना बढ़ेंगे बिजली के दाम, आम उपभोक्ता और किसान होंगे प्रभावित

बिजली महापंचायत में बताया गया कि बिजली निजीकरण के बाद घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों की बिजली दरें तीन गुना तक बढ़ सकती हैं।

  • उदाहरण:
    • मुंबई: निजीकरण के कारण 500 यूनिट तक 17-18 रुपये प्रति यूनिट बिजली दर।
    • कोलकाता: 10-12 रुपये प्रति यूनिट।
    • दिल्ली: 10 रुपये प्रति यूनिट।
    • उत्तर प्रदेश: वर्तमान में अधिकतम 6.50 रुपये प्रति यूनिट।

स्पष्ट है कि निजीकरण के बाद किसान और घरेलू उपभोक्ता फिर से लालटेन युग में जाने को मजबूर हो जाएंगे।

प्रदेशभर में उबाल, हर जिले में विरोध प्रदर्शन

मेरठ की महापंचायत में संघर्ष समिति के प्रमुख नेता जितेंद्र सिंह गुर्जर, महेंद्र राय, पी.के. दीक्षित, वसीम अहमद, आर.वाई. शुक्ल, सरजू त्रिवेदी, योगेंद्र लाखा, राम निवास त्यागी, भूपेंद्र सिंह, बहादुर सिंह ने संबोधित किया।

राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन की ओर से इंजीनियर अरविंद बिंद ने कहा कि उनका संगठन निजीकरण के खिलाफ निर्णायक संघर्ष के लिए पूरी तरह तैयार है।

इस आंदोलन के समर्थन में प्रदेशभर के सभी जनपदों और बिजली परियोजनाओं में विरोध प्रदर्शन और सभाएं आयोजित की गईं।

9 अप्रैल को लखनऊ में विशाल रैली, होगा बड़ा ऐलान

बिजली कर्मचारियों ने साफ कर दिया है कि यदि सरकार ने निजीकरण की योजना वापस नहीं ली, तो 9 अप्रैल को लखनऊ में होने वाली विशाल रैली में बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।

Aawaz News