मुजफ्फरनगर, 01 फरवरी 2025 – केंद्र सरकार ने आज अपने तीसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पेश किया, लेकिन देश के किसानों को इसमें सिर्फ कर्ज ही मिला। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने इस बजट को कॉरपोरेट पूंजीपतियों के पक्ष में बताया और कहा कि इसमें गांव, गरीब, किसान और आदिवासियों के लिए कुछ भी नहीं है।
किसानों के लिए राहत नहीं, सिर्फ कर्ज
टिकैत ने कहा कि बढ़ती महंगाई ग्रामीण परिवारों के लिए बोझ बन रही है, जिससे बच्चों की शिक्षा और चिकित्सा पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। सरकार ने एमएसपी गारंटी कानून और C2 + 50 फार्मूले की मांग कर रहे किसानों को राहत देने की बजाय उन्हें कर्ज के जाल में फंसाने का काम किया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि जब किसान बढ़ते कर्ज से जूझते रहेंगे, तो अंततः उनकी जमीनें कॉरपोरेट के हवाले हो जाएंगी। सरकार ने कृषि संकट के समाधान के बजाय किसानों को ऋण आधारित व्यवस्था में धकेलने का प्रयास किया है।
शिक्षा और चिकित्सा के नाम पर छलावा
टिकैत ने कहा कि बजट में शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए कोई ठोस नीति नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों में दिखाए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। सरकार ने पुराने बजट में मामूली बदलाव करके इसे नया रूप देने की कोशिश की है, लेकिन असल में यह किसान और मजदूर विरोधी बजट है।
किसानों ने बजट को किया खारिज
भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने इस बजट को पूरी तरह नकार दिया है और इसे किसान-मजदूरों के साथ धोखा करार दिया है। संगठन ने कहा कि यह बजट किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरने वाला है और सरकार ने एक बार फिर किसानों के साथ विश्वासघात किया है।