कविता: चेक पोस्ट
✍ बृजराज श्रीमाली | 05 मार्च 2024
कौन देखता है,
जो मर्जी हो सो देख!
कौन सुनता है,
जो मर्जी हो सो बोल!
कौन पढ़ता है,
जो मर्जी हो सो लिख!
सब चलेगा!!
अरे नहीं,
यह क्या?
आँखों पर चेक पोस्ट?
कानों पर चेक पोस्ट?
अधरों पर चेक पोस्ट?
कलम पर चेक पोस्ट?
⚠ सावधान!
तुझे दुनिया से
सावधान रह कर ही गुजरना है!
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