नज़फ से कर्बला की याद में बड़े गांव शाहगंज से होते हुए खेतासराय,गुरैनी, बड़ौर, जपतापुर लपरी होते हुए जौनपुर इस्लाम चौक के लिए रवाना हुए 

सभी जायरीन पैदल नंगे पैर इस्लामिक परचम के साथ हिंदुस्तान का परचम लिए लब्बैक या हुसैन हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए जौनपुर के लिए चले जगह जगह ज़ायरीम के लिए  सबील का इंतेज़ाम किया गया था 

मोहम्मद साहब के नवासे की दिल की आरजू थी हिंदुस्तान आने की। जिसे राष्ट्रीय पिता महात्मा गांधी ने कहा था  देश की आज़ादी के लिए हुसैन जैसा साथी होता तो मैं देश की आज़ादी मात्र 24 घंटे में प्राप्त कर लेता 

इस पैदल यात्रा में शामिल हुए 

मौलाना मिसम रामपुरी , सोनू रिज़वी  क़मर खान ,कमर अब्बास ,शारिब अब्बास  अत्याधिक लोग सामिल थे

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