सुबास चन्द्र यादव और अवधेश सिंह में  अध्यक्ष पद के लिए काटे कि टक्कर देख रहे है अधिवक्ता 

मंत्री पद के लिए मनीष कुमार सिंह , सुरेन्द्र कुमार प्रजापति  व धनंजय सिंह में रह सकती है काटे कि टक्कर 

आदित्य टाइम्स संवाद सुजीत वर्मा ब्यूरो चीफ 

जौनपुर। जनपद की दीवानी न्यायालय के बार एसोसिएशन के चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही नई कमेटी के गठन की तिथि भी मुकर्रर हो गई है। 09 सितम्बर को सुबह से मतदान होकर सांयकाल नये पदाधिकारी चयनित होकर घोषित हो जायेगे। नये बार एसोसिएशन के चुनाव के लिए अधिकृत रूप से 3172 अधिवक्ता बतौर मतदाता अधिकृत है। जिसमें सर्वाधिक मतदाता संख्या ब्राह्मण अधिवक्ताओ की है और दूसरे नम्बर पर यादव अधिवक्ता है तथा तीसरे स्थान पर क्षत्रिय अधिवक्ता बताये जा रहे है इसके बाद श्रीवास्तव और मुस्लिम अधिवक्ताओ की तादाद अच्छी मानी जा रही है। लेकिन अन्य पिछड़े वर्ग सहित दलित,मुस्लिम अधिवक्ता मतदाता को कम नहीं माना जा रहा है।

अधिवक्ता एक प्रबुद्ध वर्ग की श्रेणी में आता है लेकिन दीवानी न्यायालय के चुनाव में जो कुछ देखने को मिल रहा है और जिस तरह की समीक्षायें अधिवक्ताओ द्वारा की जा रही है वह साफ संकेत दे रही है कि चुनाव में जातिय गणित का खेल इस बुद्ध जीवी समाज के लिए बड़ा प्रश्न वाचक चिन्ह लगा रहा है। दीवानी बार के चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण जंग अध्यक्ष और महामंत्री पद को लेकर हो रही है। अध्यक्ष पद के लिए चार प्रत्याशी चुनाव के मैदान में जोर आजमाइश कर रहे है। इसमें सुबाष चन्द यादव जो पूर्व मंत्री के दायित्व को बड़ी मजबूती के साथ निभा चुके है और अपने संघर्षी तेवर से अधिवक्ताओ के समक्ष रख चुके है। और अधिवक्ताओ के हर एक संकट में खडे रहते हैं। और उनकी लड़ाईयां लड़ते रहते है इससे युवा और बुजुर्ग अधिवक्ता उनके साथ दिखाई दे रहा है। दुसरी तरफ अवधेश कुमार सिंह  भी दो बार चुनाव हारने के बाद तीसरी बार अध्यक्ष बनने के लिए चुनाव मैदान में है। उनका  क्षत्रिय अधिवक्ता में अच्छा पकड़ माना जाता है ।रमेश चन्द्र उपाध्याय भी बड़ी मजबूती से चुनाव लड़ते नजर आ रहे है। जबकि विवेक शुक्ला भी ब्राह्मण प्रत्याशी के रूप तकदीर आजमा रहे है। मंत्री पद के 11 लोग चुनाव के मैदान में है। मंत्री पद पर अधिवक्ता मनीष कुमार सिंह पुर्व अध्यक्ष तेज बहदुर सिंह के पुत्र होने व तेजतर्रार छवि होने के कारण  युवा और बुजुर्ग अधिवक्ता उनके साथ दिखाई दे रहे है। वही दुसरी तरफ सुरेन्द्र कुमार प्रजापति एडवोकेट व धनंजय सिंह एडवोकेट अपने मधुर भाषा से व अपने कराए गए अधिवक्ता के हित में कार्य से मजबूती से लड़ रहे हैं तथा रण बहादुर यादव को भी हल्के में नही लिया जा सकता है।

सहमंत्री पद के लिए उस्मान अली  

संघर्ष सील होने के कारण और शैलेश कुमार मिश्रा की लड़ाई मजबूत मानी जा रही है

इस चुनाव में लगभग सभी प्रत्याशी जातीय गणना के जरिए अपने अपने जीत की स्क्रिप्ट लिखने की हरचन्द कोशिश कर कर रहे है। आदित्य टाइम्स व आवाज डाट कॉम की टीम ने दीवानी न्यायालय बार एसोसिएशन के तमाम अधिवक्ताओ से जरिए दूरभाष और सम्पर्क करके चुनाव की समीक्षा की गई तो एक बात साफ नजर आई कि प्रबुद्ध समाज की श्रेणी मे आने वाले अधिवक्ता इस चुनाव में जातिवाद की भावना से ग्रसित होकर मतदान करने की बात करते नजर आ रहे है। जबकि इस विद्वान समाज में जातिवाद की बू नहीं आनी चाहिए।  जन मत है कि इस समाज को देखकर अन्य समाज में इसका असर हो सकेगा। 

दीवानी बार एसोसिएशन के चुनाव में मतदाता संख्या साफ संकेत कर रही है कि लड़ाई त्रिकोणीय हो सकती है। एक अधिवक्ता इसे भाजपा से जोड़कर लड़ने की दिशा में अग्रसर है तो एक प्रत्याशी पीडीए को जोड़कर कर आगे बढ़ते नजर आ रहे है।

दो ब्राह्मण प्रत्याशी होने से इनको कमतर आंका जा रहा है। माना जा रहा है कि अन्य पिछड़ा अधिवक्ता और मुस्लिम तथा श्रीवास्तव मतदाताओ की रूझान जिसके साथ होगी वही अगला अध्यक्ष बन सकेगा। पीडीए के लोग सुबाष चन्द यादव को विनर मान रहे है तो क्षत्रिय अधिवक्ता भी कांटे की टक्कर सुबाष और अवधेश के बीच बता रहे है। दो ब्राह्मण होने के कारण लोग इनको तीसरे चौथे स्थान पर रख रहे है। हलांकि की चुनाव परिणाम के बाद ही सभी कयासो से पर्दा हटेगा। अभी तो सभी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है।

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