सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु की सरकारी शराब संस्था तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन (TASMAC) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की मनी लॉन्ड्रिंग जांच और छापेमारी पर अस्थायी रोक लगा दी। कोर्ट ने ED की कार्रवाइयों को संघीय ढांचे का उल्लंघन और असंवैधानिक करार देते हुए कड़ी फटकार लगाई।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा, “ED सारी हदें पार कर रही है और संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रही है।” यह आदेश तमिलनाडु सरकार और TASMAC द्वारा दायर याचिकाओं के बाद आया, जिसमें ED की छापेमारी को चुनौती दी गई थी।
ED ने तमिलनाडु में 1,000 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले की जांच शुरू की थी, जिसमें आरोप है कि डिस्टिलरी कंपनियों ने शराब आपूर्ति के ऑर्डर हासिल करने के लिए गैर-कानूनी नकदी दी। यह जांच 41 FIRs पर आधारित थी, जो तमिलनाडु की सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) ने 2014-2021 के बीच व्यक्तिगत शराब दुकान संचालकों के खिलाफ दर्ज की थीं।
तमिलनाडु सरकार का पक्ष
तमिलनाडु सरकार और TASMAC ने तर्क दिया कि ED ने अपनी अधिकारिता का दुरुपयोग किया और बिना किसी ठोस “प्रेडिकेट ऑफेंस” (मनी लॉन्ड्रिंग के लिए मूल अपराध) के “रोविंग और फिशिंग जांच” की। सरकार ने ED पर राजनीतिक बदले की भावना से काम करने और राज्य की छवि खराब करने का आरोप लगाया, खासकर आगामी चुनावों के मद्देनजर। साथ ही, TASMAC ने दावा किया कि छापेमारी के दौरान कर्मचारियों, विशेष रूप से महिला कर्मचारियों, को परेशान किया गया, उनके फोन और निजी उपकरण जब्त किए गए, जिससे उनकी गोपनीयता और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ।
मद्रास हाई कोर्ट का फैसला और सुप्रीम कोर्ट में अपील
तमिलनाडु सरकार ने पहले मद्रास हाई कोर्ट में ED की छापेमारी को चुनौती दी थी, लेकिन 23 अप्रैल को हाई कोर्ट ने उनकी याचिकाओं को खारिज कर ED को जांच जारी रखने की अनुमति दी। इसके बाद, तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इससे पहले, 4 अप्रैल को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले को मद्रास हाई कोर्ट से किसी अन्य हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की थी, जिसे चार दिन बाद वापस ले लिया गया।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश गवई ने ED से सवाल किया, “आप किसी सरकारी निगम के खिलाफ आपराधिक मामला कैसे दर्ज कर सकते हैं? आप व्यक्तियों के खिलाफ केस दर्ज कर सकते हैं, लेकिन निगम के खिलाफ? ED सारी हदें पार कर रही है।” कोर्ट ने ED को नोटिस जारी किया और जवाब दाखिल करने को कहा, साथ ही अगली सुनवाई तक जांच पर रोक लगा दी।
DMK सरकार ने इस फैसले का स्वागत किया और इसे BJP के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा कथित राजनीतिक दुरुपयोग का जवाब बताया। दूसरी ओर, BJP और AIADMK ने इसे DMK की भ्रष्टाचार को छिपाने की कोशिश करार दिया।
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