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CSIR परीक्षा में ‘धोखाधड़ी’ मामले में UP पुलिस ने 4 अभ्यर्थियों सहित इतने लोगों को किया गिरफ्तार

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उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) द्वारा वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) के एक परीक्षा केंद्र पर “रिमोट एक्सेस टूल” के इस्तेमाल से नकल का पर्दाफाश करने के एक दिन बाद शनिवार को चार अभ्यर्थियों समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया गया।

शुक्रवार को पुलिस की एक टीम ने एक गुप्त सूचना के आधार पर मेरठ के सुभारती विश्वविद्यालय में एक परीक्षा केंद्र पर छापा मारा था। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि परीक्षा एनएसईआईटी नामक एक फर्म द्वारा आयोजित की जा रही थी। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार लोगों में यूनिवर्सिटी के आईटी मैनेजर अरुण शर्मा, लैब असिस्टेंट विनीत कुमार और एनएसईआईटी के सर्वर ऑपरेटर अंकुर सैनी शामिल हैं। उन्होंने गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों (उम्मीदवारों) की पहचान अंकित, तमन्ना, मोनिका और ज्योति के रूप में की है – सभी हरियाणा के रोहतक के रहने वाले हैं।

पुलिस के अनुसार, उन्हें शुक्रवार को CSIR NET ऑनलाइन परीक्षा के दौरान “संभावित शरारत” के बारे में सूचना मिली थी। एसटीएफ की एक टीम जल्द ही विश्वविद्यालय परिसर में पहुंच गई। परीक्षा विश्वविद्यालय की छह प्रयोगशालाओं में आयोजित की जा रही थी, जिसकी निगरानी कंपनी द्वारा नियुक्त दो नोडल अधिकारी अंकुर सैनी और राहुल कर रहे थे।

पुलिस ने बताया कि छह प्रयोगशालाओं के लिए कार्य अंकुर और राहुल के बीच विभाजित किया गया था और कंपनी ने प्रयोगशाला प्रणालियों पर आवश्यक परीक्षा सॉफ्टवेयर चलाने के लिए बूट करने योग्य पेन ड्राइव उपलब्ध कराए थे। कथित तौर पर पाया गया कि आईटी मैनेजर अरुण शर्मा ने कंपनी के सर्वर ऑपरेटर की सहायता से लैब से अलग अपने कमरे में एक अनधिकृत सिस्टम बनाया था, जिससे उन्हें लैब और सर्वर तक पहुंच प्राप्त हो गई।

इस व्यवस्था के कारण कुछ अभ्यर्थी नकल करके परीक्षा पास करने में सफल हो गए। आरोप है कि अरुण शर्मा ने अंकुर और अन्य आरोपियों को बाहर से परीक्षा के प्रश्नपत्र हल करने में शामिल होने के लिए राजी किया। उन्होंने अभ्यर्थियों के एक समूह को दिए गए इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) पतों की पहचान की।

पुलिस टीम को सर्वर रूम में रिमोट एक्सेस टूल के साथ एक लैपटॉप भी मिला। एसटीएफ टीम ने अरुण से एक मोबाइल फोन भी जब्त किया, जिसमें उन्हें चार उम्मीदवारों के रोल नंबर और नाम मिले, साथ ही उनके सिस्टम के आईपी पते भी मिले। पुलिस ने कहा कि उम्मीदवारों के सिस्टम के आईपी पते परीक्षा केंद्र के बाहर अजय नाम के एक व्यक्ति के साथ साझा किए गए थे, जिससे वह चयनित उम्मीदवारों की स्क्रीन तक पहुंच बना सका।

पुलिस ने बताया कि अजय ने प्रश्नों के उत्तर देने और हल को अभ्यर्थियों तक वापस भेजने के लिए ‘सॉल्वर’ की सेवाएं लीं, जिन्होंने इस ‘अवैध सेवा’ के लिए भुगतान किया था। अधिकारियों ने बताया कि निरीक्षण के दौरान पकड़े जाने से बचने के लिए आरोपी अपनी गतिविधियों को अस्थायी रूप से रोकने के लिए मोबाइल फोन के जरिए “स्टार्ट और स्टॉप” कमांड का इस्तेमाल करते थे।

एसटीएफ टीम ने अरुण शर्मा से बरामद फोन की डिलीट की गई फाइल से 25 जुलाई को परीक्षा के पहले और दूसरे चरण में शामिल हुए 11 अन्य अभ्यर्थियों का विवरण भी हासिल किया। अधिकारियों ने बताया कि रैकेट चलाने वाले लोग परीक्षा के पेपर पूरा करने के लिए ‘सॉल्वर’ की सेवा उपलब्ध कराने के लिए अभ्यर्थियों से मोटी रकम वसूल रहे थे।

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