
पंजाब पुलिस ने 114 वर्षीय दिग्गज मैराथन धावक फौजा सिंह की हिट-एंड-रन दुर्घटना में मौत के मामले में 30 वर्षीय एनआरआई अमृतपाल सिंह ढिल्लों को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी घटना के 30 घंटे के भीतर हुई, जिसमें ढिल्लों की टोयोटा फॉर्च्यूनर एसयूवी भी जब्त की गई।

14 जुलाई को दोपहर करीब 3:30 बजे, जालंधर-पठानकोट राजमार्ग पर बियास पिंड गांव के पास फौजा सिंह, जिन्हें “पगड़ीधारी तूफान” (टर्बनड टोर्नाडो) के नाम से जाना जाता था, सड़क पार करते समय एक तेज रफ्तार वाहन की चपेट में आ गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, टक्कर इतनी जोरदार थी कि 114 वर्षीय फौजा सिंह 5-7 फीट हवा में उछल गए। उन्हें तुरंत श्रीमान अस्पताल ले जाया गया, लेकिन सिर में गंभीर चोटों के कारण सोमवार शाम 7 बजे उनकी मृत्यु हो गई।
आरोपी की गिरफ्तारी और जांच
जालंधर ग्रामीण पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सीसीटीवी फुटेज और दुर्घटना स्थल से मिले हेडलाइट के टुकड़ों की मदद से वाहन की पहचान की। वाहन, एक सफेद टोयोटा फॉर्च्यूनर (पंजीकरण नंबर PB 20 C 7100), कपूरथला के वरिंदर सिंह के नाम पर पंजीकृत थी। पूछताछ में वरिंदर ने खुलासा किया कि उन्होंने दो साल पहले यह गाड़ी अमृतपाल सिंह ढिल्लों को बेच दी थी, जो हाल ही में कनाडा से भारत लौटे थे।
ढिल्लों, जो जालंधर के करतारपुर के दासूपुर गांव के निवासी हैं, को मंगलवार रात भोगपुर पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया गया। प्रारंभिक पूछताछ में ढिल्लों ने अपराध स्वीकार किया और बताया कि वह मुकेरियां से अपना फोन बेचकर लौट रहे थे जब बियास पिंड के पास उनकी गाड़ी एक बुजुर्ग व्यक्ति से टकरा गई। उन्होंने दावा किया कि उन्हें उस समय नहीं पता था कि पीड़ित फौजा सिंह हैं और बाद में समाचारों के माध्यम से उनकी मृत्यु की जानकारी मिली।
पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 281 (लापरवाही से गाड़ी चलाना) और धारा 105 (गैर-इरादतन हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। ढिल्लों को बुधवार को अदालत में पेश किया जाएगा, जहां पुलिस उनकी रिमांड की मांग करेगी।
आरोपी का पृष्ठभूमि
30 वर्षीय अमृतपाल सिंह ढिल्लों हाल ही में कनाडा से भारत लौटे थे, जहां उनकी मां और तीन बहनें रहती हैं। उनके पिता का निधन हो चुका है। पुलिस के अनुसार, दुर्घटना के बाद ढिल्लों ने जालंधर शहर से बचने के लिए गांवों के रास्ते करतारपुर पहुंचने की कोशिश की।
फौजा सिंह: एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व
1911 में जालंधर के बियास पिंड में जन्मे फौजा सिंह ने 89 वर्ष की आयु में मैराथन दौड़ शुरू की थी। 1994 में अपने बेटे कुलदीप की मृत्यु के बाद उन्होंने दुख से उबरने के लिए दौड़ को अपनाया। 100 वर्ष की आयु में टोरंटो मैराथन पूरा कर वह पहले सेंटेनरियन मैराथन धावक बने। लंदन, न्यूयॉर्क, हॉन्गकॉन्ग और टोरंटो जैसे शहरों में मैराथन दौड़ने वाले फौजा सिंह को “टर्बनड टोर्नाडो” और “सिख सुपरमैन” के नाम से जाना जाता था। उन्होंने 2004 और 2012 में ओलंपिक मशाल भी थामी थी। उनकी जीवनी, “टर्बनड टोर्नाडो”, लेखक खुशवंत सिंह ने लिखी थी।
नेताओं की संवेदना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फौजा सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “फौजा सिंह जी अपने अनूठे व्यक्तित्व और युवाओं को फिटनेस के लिए प्रेरित करने के कारण असाधारण थे।” पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी उनकी मृत्यु पर दुख जताया। पंजाब विधानसभा ने मंगलवार को विशेष सत्र में उन्हें श्रद्धांजलि दी।
परिवार और अंतिम संस्कार
फौजा सिंह के परिवार ने बताया कि उनके अंतिम संस्कार में देरी होगी क्योंकि उनके बच्चे और रिश्तेदार कनाडा से आ रहे हैं। लेखक खुशवंत सिंह ने एक्स पर लिखा, “मेरा पगड़ीधारी तूफान अब नहीं रहा। फौजा सिंह को एक अज्ञात वाहन ने उनके गांव बियास में सड़क पार करते समय टक्कर मारी।”
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