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सीतापुर एनकाउंटर: कांवड़ियों के भेष में SOG ने की शूटरों की तलाश, नोएडा से हरदोई पहुंचे थे हत्यारे

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सीतापुर जिले में पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड के दो शूटरों को पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने गुरुवार तड़के मुठभेड़ में मार गिराया। इन शूटरों की तलाश में एसओजी और एसटीएफ की टीमें पिछले पांच महीनों से लगी थीं, जो अंततः नोएडा से हरदोई तक पहुंचीं। इस ऑपरेशन में एसओजी टीम ने सावन में कांवड़ियों का वेश धारण कर शूटरों पर नजर रखी।

8 मार्च 2025 को लखनऊ-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेमपुर ओवरब्रिज के पास राघवेंद्र बाजपेयी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों—कारदेव मंदिर के पुजारी शिवानंद बाबा उर्फ विकास राठौर, निर्मल सिंह, और असलम गाजी—को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पूछताछ में दो शूटरों, राजू तिवारी उर्फ रिजवान और संजय तिवारी उर्फ अकील खान, के नाम सामने आए, जो सगे भाई थे और मिश्रिख के अटवा गांव के रहने वाले थे। दोनों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम था।

पुलिस को सूचना मिली कि शूटर नोएडा में छिपे थे। एसओजी की स्वाट, सर्विलांस, और नारकोटिक्स टीमें उनकी तलाश में जुटीं। सावन में कांवड़ियों के वेश में घूमकर एसओजी ने उनकी गतिविधियों पर नजर रखी। गुरुवार तड़के 4:30 बजे एसओजी को जानकारी मिली कि दोनों शूटर हरदोई से पिसावां की ओर बाइक से जा रहे हैं। पुलिस और एसटीएफ ने पिसावां थाना क्षेत्र के दुल्लापुर तिराहे पर घेराबंदी की। शूटरों ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके जवाब में पुलिस की फायरिंग में दोनों घायल हो गए। उन्हें पिसावां सीएचसी ले जाया गया, जहां से जिला अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मुठभेड़ स्थल से एक कार्बाइन, एक पिस्टल, कारतूस, और बाइक बरामद हुई।

इस हत्याकांड में एक अजीब संयोग देखने को मिला। राघवेंद्र की हत्या 8 मार्च को हुई, जिसमें चार गोलियां चलीं। शूटरों को 8 अगस्त को चार गोलियों में ढेर किया गया। राघवेंद्र की बाइक का नंबर UP32 FJ 8005 था, और उनकी हत्या के ठीक आठवें महीने में शूटरों का अंत हुआ। शूटरों का अंतिम संस्कार भी 8 अगस्त को ही होगा।

शूटरों के पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में अटवा गांव के 95 वर्षीय रामप्रसाद शुक्ला ने बताया कि उनके पिता कृष्ण गोपाल तिवारी ने नाजिमा से प्रेम के चलते अपना नाम करीम खान रख लिया था। दोनों ने विवाह नहीं किया, लेकिन साथ रहे और उनके तीन बेटे—संजय, राजू, और राहुल—हुए। उनकी एक बेटी की मृत्यु हो चुकी थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, दोनों शूटरों के पास दो आधार कार्ड थे—एक हिंदू और एक मुस्लिम नाम से।

एसपी अंकुर अग्रवाल ने बताया कि इस ऑपरेशन के लिए एसओजी और एसटीएफ की संयुक्त टीम को पुरस्कृत किया जाएगा। अपर पुलिस महानिदेशक लखनऊ जोन की ओर से 50,000 रुपये, आईजी रेंज की ओर से 25,000 रुपये, और एसपी की ओर से 25,000 रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह मुठभेड़ पूरी तरह नियमों के अनुसार हुई और राघवेंद्र हत्याकांड में यह पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी है। हालांकि, राघवेंद्र की पत्नी रश्मि बाजपेयी ने एनकाउंटर पर असंतोष जताया और सीबीआई जांच की मांग की, उनका कहना है कि असली साजिशकर्ता अभी भी पकड़े नहीं गए हैं।

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