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संयुक्त राष्ट्र में ट्रंप के एस्केलेटर और टेलीप्रॉम्प्टर विवाद: UN ने कहा- ‘राष्ट्रपति की अपनी टीम जिम्मेदार’

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 23 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में अपने भाषण के दौरान एक खराब एस्केलेटर और टेलीप्रॉम्प्टर का मुद्दा उठाकर UN को निशाना बनाया। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, “संयुक्त राष्ट्र से मुझे बस दो चीजें मिलीं: एक खराब एस्केलेटर और एक खराब टेलीप्रॉम्प्टर।”

हालांकि, UN ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि दोनों खराबी के लिए ट्रंप की अपनी टीम जिम्मेदार थी। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर हल्की हंसी के साथ-साथ विवाद भी पैदा किया, जब व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने इसे “जानबूझकर किया गया” बताकर जांच की मांग की।

घटना का विवरण
23 सितंबर को ट्रंप और प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप UN मुख्यालय में प्रवेश करने के लिए एस्केलेटर पर चढ़े। जैसे ही वे एस्केलेटर पर पहुंचे, यह अचानक रुक गया, जिससे दोनों को रुके हुए एस्केलेटर पर पैदल चलकर ऊपर जाना पड़ा। ट्रंप ने अपने भाषण में इसका जिक्र करते हुए कहा, “अगर प्रथम महिला इतनी अच्छी शारीरिक स्थिति में न होतीं, तो वह गिर सकती थीं। लेकिन हम दोनों अच्छी स्थिति में हैं।” बाद में, उनके भाषण की शुरुआत में टेलीप्रॉम्प्टर ने भी काम करना बंद कर दिया, जिसके कारण उन्हें प्रिंटेड नोट्स से भाषण पढ़ना पड़ा। ट्रंप ने इसे हल्के-फुल्के अंदाज में लिया और कहा, “टेलीप्रॉम्प्टर चलाने वाला कोई शख्स मुसीबत में है।”

UN के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने इस मामले पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि एस्केलेटर का रुकना एक सुरक्षा तंत्र (सेफ्टी मैकेनिज्म) के कारण था, जो ट्रंप के साथ चल रहे एक व्हाइट हाउस वीडियोग्राफर ने गलती से ट्रिगर कर दिया।

डुजारिक ने बताया, “ट्रंप के वीडियोग्राफर एस्केलेटर पर पीछे की ओर चल रहे थे ताकि राष्ट्रपति और प्रथम महिला का वीडियो शूट कर सकें। इस दौरान उन्होंने गलती से एस्केलेटर के ऊपरी हिस्से पर सेफ्टी मैकेनिज्म को सक्रिय कर दिया, जिससे यह रुक गया।” टेलीप्रॉम्प्टर के बारे में UN के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इसे व्हाइट हाउस की अपनी टीम संचालित कर रही थी, न कि UN स्टाफ।

व्हाइट हाउस का रुख और विवाद
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने इस घटना को गंभीरता से लिया और X पर पोस्ट करते हुए कहा, “अगर UN में किसी ने जानबूझकर राष्ट्रपति और प्रथम महिला के एस्केलेटर पर चढ़ते समय इसे रोका, तो उसे तुरंत बर्खास्त कर जांच शुरू की जानी चाहिए।” लेविट ने अपनी पोस्ट में ब्रिटिश अखबार ‘द टाइम्स’ की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया था कि UN कर्मचारियों ने मजाक में कहा था कि वे ट्रंप के लिए एस्केलेटर और लिफ्ट बंद कर सकते हैं ताकि उन्हें सीढ़ियां चढ़नी पड़ें। हालांकि, UN ने इन दावों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि कोई जानबूझकर की गई हरकत नहीं थी।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “टेलीप्रॉम्प्टर खराब था और एस्केलेटर अचानक रुक गया, लेकिन इन घटनाओं ने शायद मेरे भाषण को और दिलचस्प बना दिया। UN में बोलना हमेशा सम्मान की बात है, भले ही उनका उपकरण थोड़ा खराब हो।”

ट्रंप का UN पर हमला
ट्रंप ने अपने भाषण में न केवल तकनीकी खराबी का जिक्र किया, बल्कि UN की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने सात युद्धों को खत्म किया, लेकिन UN ने इसमें कोई मदद नहीं की। “मैंने इन देशों के नेताओं से बात की, लेकिन UN से मुझे एक फोन कॉल तक नहीं आया।” उन्होंने UN के न्यूयॉर्क मुख्यालय की मरम्मत पर भी तंज कसा, यह कहते हुए कि उन्होंने 2005 में इसकी मरम्मत के लिए 50 करोड़ डॉलर की बोली लगाई थी, जिसमें वे संगमरमर के फर्श और महोगनी की दीवारें देने वाले थे, लेकिन उनकी बोली ठुकरा दी गई। “आप लोग टेराजो फर्श पर चल रहे हैं, जबकि मैं संगमरमर दे सकता था।”

UN की आर्थिक स्थिति और संदर्भ
UN ने यह भी बताया कि न्यूयॉर्क और जेनेवा में उनके कार्यालयों में हाल के महीनों में एस्केलेटर और लिफ्ट को समय-समय पर बंद किया गया है, क्योंकि संगठन “तरलता संकट” (liquidity crisis) से जूझ रहा है। इसका एक कारण अमेरिका, जो UN का सबसे बड़ा वित्तीय योगदानकर्ता है, से फंडिंग में देरी है। यह संकट ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी चर्चा में रहा था, जब उन्होंने UN की फंडिंग में कटौती की थी।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
इस घटना ने सोशल मीडिया पर हल्का-फुल्का विवाद और मीम्स की बाढ़ ला दी। ट्रंप के समर्थकों ने इसे UN की अक्षमता और उनके प्रति असम्मान का प्रतीक बताया, जबकि आलोचकों ने इसे मामूली तकनीकी खराबी बताकर ट्रंप की शिकायत को अतिशयोक्ति करार दिया। X पर कुछ यूजर्स ने लिखा, “ट्रंप का नाटक फिर शुरू, छोटी-सी खराबी को अंतरराष्ट्रीय साजिश बना दिया।” दूसरी ओर, ट्रंप समर्थकों ने लेविट की मांग का समर्थन करते हुए इसे “अमेरिका के खिलाफ साजिश” बताया।

यह घटना ट्रंप और UN के बीच पहले से मौजूद तनाव को और उजागर करती है। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में UN की कई संस्थाओं से अमेरिका को बाहर निकाला था और इस बार भी उनके भाषण में वैश्विक संगठन के प्रति आलोचनात्मक रुख साफ दिखा।

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