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शमी-अगरकर विवाद में अश्विन की एंट्री: भारतीय क्रिकेट में अप्रत्यक्ष संवाद की कमी, की स्पष्टता और भरोसे की मांग

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भारतीय क्रिकेट के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने मोहम्मद शमी और मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर के बीच छिड़े विवाद पर खुलकर अपनी राय रखी है। उन्होंने भारतीय क्रिकेट व्यवस्था में संवाद की कमी को केंद्रीय समस्या बताते हुए खिलाड़ियों और चयनकर्ताओं के बीच सीधी और स्पष्ट बातचीत पर जोर दिया।

अश्विन का यह बयान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए शमी के चयन न होने के बाद पैदा हुई बहस के बीच आया है, जहां फिटनेस को लेकर दोनों पक्षों के बयान आमने-सामने हो गए। हालांकि, अश्विन ने अगरकर की पेशेवर अप्रोच की भी सराहना की और उम्मीद जताई कि मामला सुलझ जाएगा।

शमी-अगरकर विवाद की जड़ में फिटनेस का मुद्दा है। ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम चयन के बाद शमी ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि वह पूरी तरह फिट हैं और बंगाल के लिए रणजी ट्रॉफी खेलने की उनकी उपलब्धता इसका जीता-जागता प्रमाण है। शमी ने यह भी जोड़ा कि चयनकर्ताओं को उनकी फिटनेस की जानकारी देना उनका काम नहीं है। इसके जवाब में अगरकर ने स्पष्ट किया कि शमी का चयन न होना फिटनेस ही एकमात्र कारण था।

अगरकर के अनुसार, टीम घोषणा के समय शमी पूरी तरह तैयार नहीं थे, जबकि शमी का तर्क था कि अगर रणजी जैसे लंबे फॉर्मेट में वे खेल सकते हैं, तो 50 ओवर के मैचों में भी कोई दिक्कत क्यों होनी चाहिए। इस टकराव ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी, जहां फैंस चयन प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं।

अश्विन ने इस विवाद को भारतीय क्रिकेट में संवाद की खाई का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “मैं खुलकर कहूंगा कि भारतीय क्रिकेट में सब कुछ अप्रत्यक्ष बातों पर चलता है। मैं सचमुच चाहता हूं कि इसमें बदलाव हो। खिलाड़ियों की तरफ से भी और प्रशासकों व चयनकर्ताओं की तरफ से भी। मैंने देखा है कि अगर कोई सीधी बात कही जाती है, तो वह खबरों में आ ही जाती है। इसलिए खिलाड़ी किसी के पास जाकर यह कहने का आत्मविश्वास नहीं जुटा पाते कि वे यही चाहते हैं।” अश्विन ने जोर देकर कहा कि ऐसी अप्रत्यक्षता भ्रम और गलतफहमियां पैदा करती है, जो खिलाड़ियों को मानसिक रूप से परेशान कर देती है।

शमी की स्थिति को अश्विन ने स्पष्टता की कमी का जीवंत उदाहरण माना। उन्होंने कहा, “देखिए शमी ने क्या किया। उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया और फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बात रखी, इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन वो ये सब क्यों बोल रहे हैं? क्योंकि उन्हें स्पष्टता नहीं है। अगर उन्हें पता होता कि उनसे क्या उम्मीदें हैं, तो शायद ये सब न बोलते या फिर उन्हें वो संदेश मिला होता और वे उसे जाहिर न करते। हकीकत तो हमें नहीं पता, इसलिए अटकलें लगाना ठीक नहीं। एक खिलाड़ी के तौर पर जब भी मुझे स्पष्टता न मिली, मैं हमेशा निराश महसूस करता था। सोचता था कि अब क्या करूं, किससे बात करूं? लेकिन अगर बात की तो क्या वो लीक हो जाएगा? ये भरोसा बहुत जरूरी है।” अश्विन का मानना है कि ऐसी स्थितियां खिलाड़ियों को अकेला महसूस कराती हैं और टीम की एकजुटता को नुकसान पहुंचाती हैं।

हालांकि, अश्विन ने विवाद के बीच अगरकर की मैच्योरिटी की तारीफ करने में कंजूसी नहीं की। उन्होंने कहा, “मुझे अजीत अगरकर का यह तरीका बहुत पसंद आया। उन्होंने कहा कि अगर शमी कुछ कहना चाहेगा तो मैं फोन करके उससे बात करूंगा। मुझे उम्मीद है कि वो फोन कॉल हो चुका होगा।”

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